राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा RBI के 26वें गवर्नर नियुक्त, वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म, मंहगाई पर काबू पाना होगी सबसे बड़ी चुनौती।

राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा RBI के 26वें गवर्नर नियुक्त, वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्म, मंहगाई पर काबू पाना होगी सबसे बड़ी चुनौती।
December 10, 2024 at 5:13 am

Sanjay Malhotra – New RBI Governor: संजय मल्होत्रा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर नियुक्‍त किए गए हैं। वह शक्तिकांत दास की जगह लेंगे। दास का कार्यकाल 10 दिसंबर को खत्‍म हो रहा है। वहीं, बुधवार 11 दिसंबर से मल्होत्रा का कार्यकाल शुरू होगा। जो अगले तीन वर्ष तक चलेगा। मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी हैं। मल्होत्रा आरबीआई के 26वें गवर्नर होंगे। मल्होत्रा की नियुक्ति मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने की है।

आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा अपने काम करने के तरीकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा अफसरों में गिने जाते हैं। उन्होंने 2024 का बजट बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। आम सहमति बनाने में माहिर मल्होत्रा ने नई आयकर व्यवस्था को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके पास वित्त से जुड़े कामकाज संभालने का लंबा अनुभव है। रिजर्व बैंक का कामकाज सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स देखते हैं। मल्होत्रा के पास इसका भी अनुभव है। इसलिए, वह आरबीआई गवर्नर की रेस में सबसे आगे रहे।

विभिन्न क्षेत्रों में माहिर होने के साथ वित्त मंत्री से भी अच्छे संबंध

राजस्थान कैडर के 1990 बैच के आईएएस अधिकारी मल्होत्रा के पास वित्त व कराधान जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता के साथ सार्वजनिक नीति में 33 साल से अधिक का अनुभव है। आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) से कंप्यूटर विज्ञान (Computer Science) में स्नातक व अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय (Princeton University) से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर हैं। मल्होत्रा के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी अच्छे संबंध हैं। 

महंगाई पर काबू पाना सबसे बड़ी चुनौती

संजय मल्होत्रा ऐसे समय में रिजर्व बैंक के गवर्नर बने हैं, जब केंद्रीय बैंक के सामने चुनौतियों की भरमार है। मौजूदा हालातों में आरबीआई पर रेपो दरों में कटौती का दबाव है, क्योंकि जीडीपी की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर (Third Quarter) अवधि में सात तिमाहियों के निचले स्तर 5.4% पर आ गई। डॉलर के मुकाबले रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है। शशिकांत दास उर्जित पटेल के अचानक स्तीफा देने के बाद बाजार में आये भूचाल को तो स्थिर रखने में कामयाब रहे लेकिन महंगाई पर लगाम लगाने में पूरी तरह विफल। देखना होगा मल्होत्रा इस छोर पर कैसा प्रदर्शन करते हैं।