श्री करमनघाट हनुमान मंदिर, हैदराबाद

श्री करमनघाट हनुमान मंदिर, हैदराबाद
January 28, 2025 at 12:50 pm

श्री करमनघाट हनुमान मंदिर, हैदराबाद: प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर भारत के तेलंगाना प्रांत के हैदराबाद शहर के चम्पापेट में इनररिंग रोड पर स्थित है। करमनघाट मंदिर के प्रमुख देवता अंजनेय के रूप में हनुमान जी हैं। मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। काकतीय वंश के राजा प्रोला द्वितीय को एक दिव्य अनुभव हुआ। मान्यता है कि राजा को सपने में हनुमान जी दर्शन दिए थे। इसके बाद राजा ने मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ कई अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित हैं।

श्री करमन घाट मंदिर (Sri Karmanghat Hanuman Devastanam) द्राविड़ शैली में बना है। इस मंदिर के परिसर में अन्य देवताओं का भी वास है। जैसे प्रभु श्री राम, भगवान शिव, मां सरस्वती, मां दुर्गा, संतोषी माता, वेणुगोपाल और जगन्नाथ। मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा ध्यान मुद्रा में है, लेकिन उन्हें एक सैनिक के समान पोशाक पहनाई जाती है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर हैदराबाद में भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। भक्त मंगलवार और शनिवार को मंदिर में हनुमान जी की पूजा-अर्चना एवं धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर मंदिर में हनुमान भक्तों का तांता लग जाता है। यहां हनुमान जी की पूजा में नारियल का उपयोग किया जाता है। मंदिर प्रबंधन सीमित लोगों को प्रतिदिन मुफ्त भोजन प्रदान करता है। इसके साथ साथ मेडिकल कैंप और कई कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता।

एक किंवदंती के अनुसार, काकतीय वंश के राजा प्रोल द्वितीय शिकार पर निकले थे। वह थकने के बाद एक पेड़ के नीचे आराम करने लगे। इसी दौरान राजा को राम नाम जप की एक आवाज सुनाई दी। राजा के कदम आवाज की ओर बढ़ने लगे। थोड़ी दूरी पर उन्हें हनुमान जी की एक मूर्ति मिली। हनुमान जी का सम्मान करने के बाद राजा अपने राज्य वापस आ गए। हनुमान जी के उसी स्वरूप ने राजा को सपने में दर्शन दिए। इसके बाद राजा ने मंदिर बनाने का निश्चय किया। जिसके फलस्वरूप राजा के आदेश पर इस प्राचीन हनुमान मंदिर की स्थापना हुई।

जब औरंगज़ेब मंदिर तोड़ने में हुआ असफल

औरंगज़ेब अपनी सेना लेकर इस मंदिर को तोड़ने पहुंचा था। मगर कहते हैं कि उसकी सेना करमनघाट हनुमान मंदिर के परिसर के भीतर प्रवेश भी न कर सकी। झुंझलाहट में ख़ुद मुगल शासक औरंगज़ेब मंदिर को तोड़ने आगे बढ़ा, लेकिन मंदिर के नज़दीक पहुंचते ही उसे एक आकाशवाणी हुई। उसे सुनकर वो कांप उठा। आकाशवाणी में किसी ने कहा, ‘मंदिर तोड़ना है राजा, तो कर मन घाट’। इसका मतलब था कि अगर मंदिर तोड़ना है तो अपने मन को मज़बूत कर। कहा जाता है कि औरंगज़ेब इस घटना के बाद चुपचाप मंदिर से चला गया। इसी के बाद इस मंदिर का नाम करमनघाट पड़ गया।