शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय, 41 साल पहले 1984 में राकेश शर्मा गए थे अंतरिक्ष, एक्सिओम-4 मिशन के तहत 4 यात्रियों को ISS भेजा गया।

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय, 41 साल पहले 1984 में राकेश शर्मा गए थे अंतरिक्ष, एक्सिओम-4 मिशन के तहत 4 यात्रियों को ISS भेजा गया।
June 25, 2025 at 12:23 pm

Axiom-4 Mission Launched Successfully: आज 25 जून, बुधवार को अमेरिकी वाणिज्यिक स्पेस कंपनी- एक्सिओम (Axiom) अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए अपना एक्सिओम-4 मिशन लॉन्च कर दिया। यह मिशन भारत के लिहाज से भी अहम है। चूंकि, इस मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ल पायलट के तौर पर शामिल हैं। 1984 में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय थे। उनके जाने के 41 साल बाद भारत का कोई व्यक्ति अंतरिक्ष यात्री बनेगा।

केप कैनेवरल से भारतीय समयानुसार बुधवार दोपहर एक्सिओम-4 मिशन में शामिल अंतरिक्ष यात्री टेस्ला के मालिक एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) द्वारा निर्मित ड्रैगन कैप्सूल में बैठाकर रवाना किए गए। इस कैप्सूल को अंतरिक्ष तक स्पेसएक्स का ही फैल्कन 9 रॉकेट पहुंचाएगा। यह रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचकर ड्रैगन कैप्सूल से अलग हो जाएगा और यह कैप्सूल स्वायत्त तौर पर ISS तक पहुंच जाएगा। अगर सब कुछ अपेक्षा के अनुरूप रहा तो ड्रैगन कैप्सूल लॉन्च के करीब 28 घंटे बाद 26 जून को आईएसएस पर डॉक हो जाएगा।

बतादें, 2016 में, एक्सिओम कंपनी को नासा के दो पूर्व वैज्ञानिकों- माइकल टी. सफ्रेडिनी और कैम गैफेरियन ने ह्यूस्टन से शुरू किया था। इस कंपनी का लक्ष्य मिशन को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर भेजना था। कुछ समय बाद इस कंपनी ने अपना एक्सिओम स्टेशन बनाने का भी लक्ष्य रखा है, जो कि आईएसएस के सेवानिवृत्त होने के बाद उसकी जगह ले सकेगा। 2030 तक एक्सिओम अपने स्पेस स्टेशन को लॉन्च करने की तैयारी में लगा है। एक्सिओम इस मिशन से पहले तीन मिशन्स के माध्यम से कई देशों के यात्रियों को अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है। इनमें इस्राइल का पहला और सऊदी अरब का एक अंतरिक्ष यात्री शामिल है।

एक्सिओम मिशन क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

एक्सिओम-4 मिशन एक्सिओम कंपनी का चौथा मानव मिशन है। इसे नासा और SpaceX की मदद से लॉन्च किया गया है। इस मिशन के तहत एक्सिओम ने निजी, वाणिज्यिक स्पेसक्राफ्ट में 4 अंतरिक्ष यात्रियों को आईएसएस भेजा है। ये चारों अंतरिक्ष यात्री अपने अपने लक्ष्यों के अनुसार आईएसएस पर 60 से ज्यादा प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों के माध्यम से इंसानों के शरीर पर पड़ने वाले असर, अंतरिक्ष में होने वाली खेती और पदार्थों से जुड़े विज्ञान (Material Science) को समझने की कोशिश की जाएगी। एक्सिओम मिशन इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इससे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को सफलतापूर्वक दर्शाया जा सकता है। एक्सिओम-4 मिशन में जिन 4 लोगों को ISS पर भेजा जा रहा है, उनमें अमेरिका और भारत के अलावा पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री भी आईएसएस पर जा रहे हैं।

भारत के शुभांशु शुक्ला ने पोस्ट कर लिखा

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने कहा, “नमस्कार, मेरे प्यारे देशवासियों! क्या सफर है! हम 41 साल बाद एक बार फिर अंतरिक्ष में वापस आ गए हैं। यह एक अद्भुत सफर है। हम 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधों पर उभरा हुआ तिरंगा मुझे बताता है कि मैं आप सभी के साथ हूं। मेरी यह यात्रा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की शुरुआत नहीं है, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें। आपका सीना भी गर्व से चौड़ा होना चाहिए। आइये, हम सब मिलकर भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत करें। जय हिंद! जय भारत!

एक्सिओम-4 मिशन पर जाने वाली टीम के सदस्यों के नाम

मिशन का नेतृत्व अमेरिका की पेगी व्हिट्सन कर रही हैं। वह 10 बार आईएसएस से बाहर निकलकर स्पेसवॉक में भी हिस्सा ले चुकी हैं। भारत के शुभांशु शुक्ल वायुसेना में ग्रुप कैप्टन हैं। उनके पास जैगुआर से लेकर सुखोई-30एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाने का 2000 घंटे का अनुभव है। टीम के तीसरे सदस्य हैं स्लावोज उज्ना स्की विज्निएवस्की। स्लावोज वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं तथा वे अंग्रेजी और फ्रेंच भाषा धाराप्रवाह बोल सकते हैं। टीम के चौथे सदस्य हैं हंगरी के टिबोर कापू, जो एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं।