Maa Chandraghanta Temple: नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा माता का तृतीय स्वरुप मां चंद्रघंटा, ‘मां क्षेमा माई के मंदिर’ में हैं स्थापित; दर्शन मात्र से होते हैं सभी रोग दूर।

Maa Chandraghanta Temple: नवरात्रि के तीसरे दिन दुर्गा माता का तृतीय स्वरुप मां चंद्रघंटा, ‘मां क्षेमा माई के मंदिर’ में हैं स्थापित; दर्शन मात्र से होते हैं सभी रोग दूर।
September 24, 2025 at 2:49 pm

Maa Chandraghanta Temple : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) चार नवरात्रि में से एक नवरात्रि हैं। जिसमें पूरे 9 दिन दुर्गा मां की पूजा अर्चना की जाती है। ये 9 दिन दुर्गा मां की आराधना का विशेष समय होता है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां के भिन्न भिन्न नौ स्वरुपों की पूजा अर्चना होती है। धार्मिक मान्यतानुसार, जो भी नवरात्रि के नौ दिनों में घट स्थापना कर पूरे विधि विधान के साथ पूरे मन और श्रध्दा से मां का पूजन करता है, मां उन सभी भक्तों के कष्टों समूल नाश कर देती हैं।

मां का नाम चंद्रघंटा कैसे पड़ा?

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) का पूजन किया जाता है। मां का ये स्वरुप शांति प्रदान करने वाला और कल्याणकारी माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां भगवती ने असुरों का संहार करने के लिए इस रुप को धारण किया था। इस रूप में मां के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजित है इसलिए मां के इस रूप का नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां का यह अलौकिक स्वरूप स्वर्ण के समान दमकता है। मां चंद्रघंटा की दस भुजाएं हैं, जिनमें खड्ग, कटार आदि सुशोभित हैं और शेर मां चंद्रघंटा की सवारी है।

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में है मां चंद्रघंटा का मंदिर

मां चंद्रघंटा को समर्पित यह मंदिर भारत के उत्तरप्रदेश प्रांत के प्रयागराज शहर में स्थित है। यह मंदिर प्रयागराज के व्यस्ततम क्षेत्र मुहल्ले चौक में स्थित है। स्थानीय लोगों में यह मंदिर मां क्षेमा माई का मंदिर के रूप में जाना जाता है। पुराणों में भी इस मंदिर का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है। पुराणों के अनुसार, इसी मंदिर में मां दुर्गा देवी चंद्रघंटा स्वरुप में विराजित हैं। नवरात्रि में यहां भक्तों की लंबी कतारें लगतीं हैं। विशेषकर नवरात्रि के तीसरे दिन मंदिर में मां चंद्रघंटा स्वरूप के दर्शन के लिए बहुत भीड़ इकट्ठी होती है। सबसे खास बात ये है कि यहां देवी सभी 9 स्वरूपों के दर्शन होते हैं।