शरद पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा हिंदू धर्म में बेहद शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों में अमृत तत्व समाया रहता है। इसीलिए इस रात में खीर बनाकर चाँदनी में रखने की परंपरा है। वर्ष 2025 में यह पूर्णिमा खास योगों के साथ आ रही है, जिससे समृद्धि, सौभाग्य और स्वास्थ्य प्राप्ति के योग बन रहे हैं।
शरद पूर्णिमा और खीर का महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। ऐसा विश्वास है कि इस रात चाँद की किरणें अमृत से भरी होती हैं। इन किरणों में रखी गई खीर में दिव्यता और औषधीय गुण आ जाते हैं।
खीर में प्रयुक्त दूध पवित्रता का प्रतीक है, जबकि चावल समृद्धि और स्थायित्व का प्रतीक माना जाता है। जब ये दोनों मिलते हैं, तो वे भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का संतुलन दर्शाते हैं। इस दिन की गई पूजा और खीर का सेवन सौभाग्य और धन की वृद्धि लाता है।
शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि और योग
इस वर्ष शरद पूर्णिमा सोमवार को पड़ रही है, जो चंद्र देव का दिन होता है। साथ ही इस दिन वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहे हैं, जो स्थायी समृद्धि के संकेतक हैं।
चंद्रमा इस दिन मीन राशि में शनि के साथ युति में रहेगा, जिससे कर्म और भावनाओं का संतुलन बनेगा। राहु और शनि एक ही नक्षत्र में रहेंगे, जो आत्मिक परिवर्तन का योग दर्शाता है।
इन ग्रह स्थितियों के कारण वर्ष 2025 की शरद पूर्णिमा अत्यंत शुभ और प्रभावशाली मानी जा रही है।
राशि अनुसार दिशा में रखें खीर
ज्योतिषाचार्य सिद्धार्थ एस. कुमार के अनुसार, राशि के आधार पर खीर रखने की दिशा तय करने से शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं। नीचे दी गई तालिका के अनुसार दिशा चुनें:
राशि समूह | खीर रखने की दिशा | सुझाव |
मेष, सिंह, धनु (अग्नि तत्व) | पूर्व दिशा | चाँदनी सीधे मिले। केसर डालें, यह मानसिक शांति और समृद्धि लाता है। |
वृषभ, कन्या, मकर (पृथ्वी तत्व) | आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व) | स्थायित्व और धनवृद्धि के लिए तुलसी पत्ता या सिक्का पास रखें। |
मिथुन, तुला, कुंभ (वायु तत्व) | वायव्य दिशा (उत्तर-पश्चिम) | इस दिशा में दो दीपक जलाकर चाँद की ओर रखें, संवाद और संतुलन बढ़ता है। |
कर्क, वृश्चिक, मीन (जल तत्व) | उत्तर या ईशान दिशा | यह दिशा मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास देती है। चाँदी या काँच के पात्र का प्रयोग करें। |
यदि किसी व्यक्ति को अपनी राशि ज्ञात न हो, तो उत्तर-पूर्व (ईशान) दिशा में खीर रखना सबसे शुभ माना गया है, क्योंकि 2025 में चंद्रमा इसी दिशा में स्थित रहेगा।
खीर रखने की विधि
कोजागरी पूर्णिमा पर क्या करें
इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और उन लोगों को आशीर्वाद देती हैं जो जागकर पूजा करते हैं। इसलिए इसे कोजागरी (कौ-जागर्ति = कौन जाग रहा है) कहा गया है।
लोग इस दिन रात्रि जागरण, भजन, मंत्र जाप और ध्यान करते हैं ताकि देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो।
निष्कर्ष
शरद पूर्णिमा की रात केवल पूजा की नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करने की रात है। जब आप श्रद्धा और प्रेम से चाँदनी में खीर रखते हैं, तो वह केवल प्रसाद नहीं — बल्कि समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति का प्रतीक बन जाती है।
इस पूर्णिमा पर खीर रखें, चाँदनी में स्नान करें, और देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से अपने जीवन को उज्जवल बनाएं।