भारत का UPI बना ग्लोबल उदाहरण: अमेरिका और यूरोप अभी भी पीछे डिजिटल पेमेंट्स की दौड़ में

भारत का UPI बना ग्लोबल उदाहरण: अमेरिका और यूरोप अभी भी पीछे डिजिटल पेमेंट्स की दौड़ में
October 9, 2025 at 3:23 pm

भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है। जहां भारत में करोड़ों लोग रोज़ाना UPI से लेनदेन करते हैं, वहीं अमेरिका और यूरोप अभी भी अपने पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम और महंगे शुल्क के कारण पीछे रह गए हैं।

UPI: भारत की डिजिटल सफलता की कहानी

भारत में नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा वर्ष 2016 में लॉन्च की गई UPI ने आज देश की आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया है।

  • अब हर व्यक्ति मोबाइल से तुरंत भुगतान कर सकता है — चाहे वह ₹10 का हो या ₹10 लाख का।
  • यह प्रणाली 24×7 काम करती है और इसके लिए किसी कार्ड या OTP की ज़रूरत नहीं होती।
  • गूगल पे, फोनपे, पेटीएम जैसे ऐप्स ने इसे आम लोगों तक पहुँचाया है।

2025 तक भारत में UPI लेनदेन की संख्या अरबों में पहुँच चुकी है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म बन गया है।

अमेरिका और यूरोप क्यों पीछे हैं?

अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग प्रणाली अभी भी पुरानी प्रक्रियाओं और महंगे शुल्कों पर आधारित है।

  • हर बैंक का अलग नेटवर्क होने से इंटरऑपरेबिलिटी मुश्किल है।
  • क्रेडिट कार्ड कंपनियां और बैंक ट्रांजैक्शन पर 1–3% शुल्क लेते हैं।
  • सुरक्षा और गोपनीयता नियमों के चलते रियल-टाइम पेमेंट सिस्टम विकसित नहीं हो पाया है।

कई देशों में सरकारें और वित्तीय संस्थान अब भारत के मॉडल को समझने की कोशिश कर रही हैं ताकि वे भी ऐसा इकोसिस्टम बना सकें।

UPI बन रहा है ग्लोबल मॉडल

भारत का UPI अब ग्लोबल पेमेंट्स नेटवर्क बनने की ओर अग्रसर है।

  • सिंगापुर, फ्रांस, UAE और श्रीलंका जैसे देशों में UPI-लिंक्ड ट्रांजैक्शन शुरू हो चुके हैं।
  • कई और देश भारत के साथ साझेदारी करने की तैयारी में हैं।
  • यह न केवल भारत की तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि “डिजिटल आत्मनिर्भरता” का प्रतीक भी है।


निष्कर्ष

भारत का UPI अब सिर्फ एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति बन गया है।
जहां पश्चिमी देश अब भी अपनी जटिल बैंकिंग प्रणालियों से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारत ने दिखा दिया है कि तकनीक और नीति मिलकर कैसे एक आम नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती हैं।