विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025: मानसिक मजबूती ही असली शक्ति, जानिए इस वर्ष की थीम, इतिहास, और महत्व

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025: मानसिक मजबूती ही असली शक्ति, जानिए इस वर्ष की थीम, इतिहास, और महत्व
October 10, 2025 at 3:34 pm

हर साल 10 अक्टूबर  को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है। इस अवसर पर विभिन्न देशों में सेमिनार, कैंपेन, और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोग समझ सकें कि मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही जरूरी है।

2025 की थीम: “Mental Health is a Universal Right”

2025 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस वर्ष की थीम रखी गई है — “Mental Health is a Universal Right” यानी मानसिक स्वास्थ्य सभी का अधिकार है।
इस थीम का उद्देश्य यह बताना है कि मानसिक स्वास्थ्य किसी एक वर्ग या देश तक सीमित नहीं होना चाहिए। हर व्यक्ति, चाहे वह बच्चा हो, महिला हो या बुजुर्ग, उसे मानसिक रूप से स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है।

यह थीम यह भी संदेश देती है कि समाज को मानसिक बीमारियों को लेकर शर्म या डर की भावना से बाहर आना चाहिए और खुलकर इस पर बात करनी चाहिए।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत 1992 में वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (World Federation for Mental Health – WFMH) ने की थी।
शुरुआत में इस दिन का उद्देश्य केवल मानसिक स्वास्थ्य के बारे में आम जानकारी फैलाना था, लेकिन आज यह दिन विश्व स्तर पर एक वैश्विक आंदोलन का रूप ले चुका है।
हर साल WHO और WFMH इस दिन के लिए एक नई थीम तय करते हैं, जो किसी खास मानसिक स्वास्थ्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करती है, जैसे — डिप्रेशन, एंग्जाइटी, आत्महत्या की रोकथाम, या मानसिक देखभाल की पहुंच।

भारत में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति

भारत जैसे विशाल देश में मानसिक स्वास्थ्य अब भी एक बड़ी चुनौती है।
नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे (NMHS) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 14% भारतीय किसी न किसी मानसिक समस्या से प्रभावित हैं।
फिर भी, मानसिक बीमारियों को लेकर समाज में कलंक (Stigma) अब भी मौजूद है।

हालांकि, सरकार और कई सामाजिक संस्थाएं इस दिशा में गंभीर कदम उठा रही हैं।

  • भारत सरकार ने Tele MANAS Programme शुरू किया है, जिससे लोग टेलीफोन पर मानसिक सलाह और सहायता प्राप्त कर सकते हैं।
  • स्कूलों और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • कई निजी संस्थाएं और हेल्पलाइन सेवाएं अब युवाओं और कामकाजी लोगों के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग उपलब्ध करा रही हैं।

मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के उपाय

आज की तेज़-तर्रार और तनावपूर्ण जीवनशैली में मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल पहले से ज्यादा जरूरी हो गई है। यहाँ कुछ आसान लेकिन प्रभावी उपाय दिए गए हैं:

  1. दिन की शुरुआत सकारात्मक विचारों से करें।
    अपने मन को शांत रखने के लिए सुबह ध्यान (Meditation) और योग को आदत बनाएं।
  2. खुद से बात करें और भावनाएं व्यक्त करें।
    अपनी भावनाओं को अंदर न दबाएं। दोस्तों या परिवार से खुलकर बातचीत करें।
  3. डिजिटल डिटॉक्स करें।
    सोशल मीडिया पर लगातार रहने से तनाव बढ़ सकता है। कुछ समय के लिए डिजिटल ब्रेक लें।
  4. पर्याप्त नींद लें और संतुलित आहार अपनाएं।
    नींद की कमी और गलत खानपान मानसिक थकान और चिड़चिड़ापन बढ़ाते हैं।
  5. जरूरत हो तो विशेषज्ञ से सलाह लें।
    मानसिक परेशानी को नजरअंदाज न करें। साइकोलॉजिस्ट या थेरेपिस्ट से संपर्क करें।

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मिथक और सच्चाई

समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कई गलतफहमियां हैं:

  • मिथक: मानसिक बीमारी केवल “कमज़ोर लोगों” को होती है।
    सच्चाई: यह किसी को भी हो सकती है — चाहे वह सफल व्यक्ति ही क्यों न हो।
  • मिथक: थेरेपी लेना शर्म की बात है।
    सच्चाई: थेरेपी लेना एक साहसिक कदम है, यह आत्म-देखभाल का हिस्सा है।
  • मिथक: मानसिक बीमारियां ठीक नहीं हो सकतीं।
    सच्चाई: सही इलाज और सपोर्ट से यह पूरी तरह नियंत्रित या ठीक की जा सकती हैं।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व

यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि मानसिक स्वास्थ्य केवल डॉक्टरों या मरीजों का विषय नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
यह दिन समाज में संवाद को प्रोत्साहित करता है ताकि लोग बिना किसी डर के अपने मन की बात कह सकें।
आज मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलकर चर्चा करना अपने आप में एक सकारात्मक बदलाव है।

निष्कर्ष:

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025 का संदेश स्पष्ट है — हर व्यक्ति को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का अधिकार है। जब हम अपने मन की सुनते हैं, मदद लेने में संकोच नहीं करते, और दूसरों की भावनाओं को समझते हैं, तभी हम एक संवेदनशील और स्वस्थ समाज का निर्माण कर सकते हैं।