धरती के भीतर धंस रही दिल्ली! बढ़ता जमीन धंसाव बना बड़ा खतरा, 17 लाख लोगों की जिंदगी दांव पर

धरती के भीतर धंस रही दिल्ली! बढ़ता जमीन धंसाव बना  बड़ा खतरा, 17 लाख लोगों की जिंदगी दांव पर
November 4, 2025 at 3:49 pm

Delhi Land Subsidence: राजधानी में तेजी से नीचे जा रही जमीन, हजारों इमारतें डेंजर जोन में, जानें क्या है वजह

देश की राजधानी दिल्ली के नीचे की जमीन लगातार धंस रही है — और खतरे की घंटी अब तेज़ बज चुकी है। नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिल्ली में जमीन 51 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से नीचे जा रही है। इसका सीधा असर 17 लाख से ज्यादा लोगों पर पड़ सकता है।
नेचर जर्नल’ में प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक, दिल्ली में 2,264 इमारतें पहले से ही गंभीर जोखिम (High Structural Risk) की श्रेणी में आ चुकी हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर अभी भी चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया गया, तो आने वाले वर्षों में यह संकट भयंकर तबाही में बदल सकता है।

दिल्ली-NCR में तेजी से नीचे जा रही धरती

अध्ययन में बताया गया है कि भारत के पांच बड़े महानगरों — दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बेंगलुरु — में दिल्ली तीसरे नंबर पर है, जहां जमीन धंसाव की समस्या सबसे गंभीर हो चुकी है।

  • मुंबई: 262.36 वर्ग किलोमीटर
  • कोलकाता: 222.91 वर्ग किलोमीटर
  • दिल्ली: 196.27 वर्ग किलोमीटर

NCR के बिजवासन, फरीदाबाद और गाजियाबाद में जमीन क्रमशः 28.5 मिमी, 38.2 मिमी और 20.7 मिमी प्रति वर्ष की दर से धंस रही है। वहीं, द्वारका में कुछ स्थानों पर जमीन 15.1 मिमी की दर से ऊपर उठती भी पाई गई है — जो असंतुलन का संकेत है।

भविष्य में और बढ़ेगा संकट

रिपोर्ट चेतावनी देती है कि आने वाले 30 वर्षों में 3,169 इमारतें गंभीर खतरे में होंगी, और 50 साल बाद यह संख्या 11,457 तक पहुंच सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रफ्तार जारी रही, तो दिल्ली की नींव धीरे-धीरे “पाताल लोक” में समा जाएगी।

तीन बड़ी वजहें जो दिल्ली को डुबो रही हैं

रिपोर्ट में दिल्ली में हो रहे भू-धंसाव के तीन प्रमुख कारण बताए गए हैं —

  1. भूजल का अत्यधिक दोहन (Over Extraction of Groundwater)
  2. जमीन के नीचे की जलोढ़ मिट्टी का संकुचन (Compression of Alluvial Soil)
  3. मानसून पैटर्न में बदलाव और जलवायु परिवर्तन (Changing Rainfall Patterns & Climate Change)

दिल्ली में पानी की कमी को पूरा करने के लिए लगातार भूजल का दोहन हो रहा है। इससे जमीन के भीतर की मिट्टी सिकुड़ रही है और धीरे-धीरे सतह नीचे जा रही है।

विशेषज्ञों की चेतावनी और समाधान की जरूरत

शोधकर्ताओं ने कहा है कि पारंपरिक तकनीकों से इमारतों की दरारें देखकर खतरे का आकलन करना सही तरीका नहीं है।
उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि भू-धंसाव और बिल्डिंग डैमेज का एक डेटाबेस तैयार किया जाए, ताकि समय रहते नीतिगत फैसले लिए जा सकें।

रिपोर्ट के निष्कर्ष में कहा गया है —

“जलवायु परिवर्तन, मौसम की चरम स्थितियां और भूमि धंसाव एक साथ मिलकर भारत के शहरी ढांचे के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। अब कार्रवाई नहीं की गई तो भविष्य में तबाही तय है।”