Pushkar Brahma Temple Story: सावित्री देवी के श्राप से जुड़ी पौराणिक कथा, जानें क्यों दुनिया में केवल एक ही है ब्रह्मा जी का मंदिर

Pushkar Brahma Temple Story: सावित्री देवी के श्राप से जुड़ी पौराणिक कथा, जानें क्यों दुनिया में केवल एक ही है ब्रह्मा जी का मंदिर
November 8, 2025 at 2:10 pm

हिंदू धर्म के त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—पूरी सृष्टि का संचालन करते हैं। इनमें जहां विष्णु और शिव के हजारों मंदिर देश-विदेश में मौजूद हैं, वहीं ब्रह्मा जी का केवल एक ही प्रमुख मंदिर है, जो राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। माना जाता है कि यह मंदिर 14वीं शताब्दी में अपने वर्तमान स्वरूप में बनाया गया था और यहां चतुर्मुखी ब्रह्मा की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। संगमरमर से निर्मित यह मंदिर लाल शिखर के कारण दूर से ही दिखाई देता है।

क्यों दुनिया में केवल एक ही है ब्रह्मा जी का मंदिर?

इस प्रश्न का उत्तर एक प्रचलित पौराणिक कथा में मिलता है, जिसमें देवी सावित्री द्वारा दिया गया श्राप मुख्य कारण बताया गया है।

पौराणिक कथा: कमल गिरा और प्रकट हुए तीन पुष्कर

कथाओं के अनुसार, ब्रह्माजी एक बार हंस पर सवार होकर यज्ञ के लिए उपयुक्त स्थान की खोज कर रहे थे। उस दौरान उनके हाथ से कमल का फूल गिर गया। जिस स्थान पर कमल का स्पर्श हुआ, वहां तीन झरने प्रकट हुए—

  • ब्रह्म पुष्कर
  • विष्णु पुष्कर
  • शिव पुष्कर

इन्हीं पवित्र सरोवरों के समीप ब्रह्माजी ने यज्ञ करने का निश्चय किया।

यज्ञ के बिना सावित्री की उपस्थिति अनिवार्य

यज्ञ को पूर्ण करने के लिए पत्नी सावित्री की उपस्थिति आवश्यक थी, लेकिन वे समय पर नहीं पहुंच पाईं। इस परिस्थिति में ब्रह्माजी ने यज्ञ पूर्ण करने के लिए अन्य स्त्री को आसन पर बैठा लिया। जब देवी सावित्री वापस लौटीं, तो वे क्रोधित हुईं और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि—


“दुनिया में तुम्हारी पूजा नहीं होगी और तुम्हारा मंदिर कहीं नहीं बनेगा।”

यही कारण माना जाता है कि पूर्ण विश्व में केवल एक ही स्थान—पुष्कर—पर ब्रह्मा जी का मंदिर स्थित है।

सावित्री देवी का तपस्थल: पुष्कर की पहाड़ियों पर मंदिर

श्राप देने के बाद देवी सावित्री तपस्या के लिए पुष्कर की पहाड़ियों पर चली गईं, जहां आज भी उनका मंदिर स्थित है। माना जाता है कि वे भक्तों का कल्याण करती हैं और उनकी कृपा से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

ब्रह्माजी की तपस्या और महत्व

कथाओं के अनुसार, ब्रह्माजी ने पुष्कर में दस हजार वर्षों तक सृष्टि की रचना की और पांच दिनों तक यज्ञ संपन्न किया। श्रद्धालु आज भी ब्रह्माजी को दूर से प्रणाम कर पूजा-अर्चना करते हैं।

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