अमेरिका ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल और मानव रहित विमान (यूएवी) कार्यक्रम में मदद के आरोप में भारत सहित सात देशों की 32 कंपनियों और व्यक्तियों पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार, यह कदम ईरान द्वारा हथियारों के आक्रामक विकास को रोकने और उस पर अधिकतम दबाव बनाने की राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीति के तहत उठाया गया है।
कौन–कौन देश आए निशाने पर?
अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि ईरान, चीन, हांगकांग, यूएई, तुर्किये और भारत समेत कई देशों की संस्थाएं उस नेटवर्क में शामिल थीं, जो ईरान के मिसाइल और यूएवी कार्यक्रम के लिए आवश्यक सामग्री और पुर्जों की खरीद में अहम भूमिका निभाता था।
UN प्रतिबंध को लागू करने की कोशिश
विदेश विभाग ने यह भी कहा कि यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र द्वारा सितंबर में लागू किए गए प्रतिबंधों को दोबारा प्रभावी बनाने का प्रयास है, क्योंकि ईरान अपनी परमाणु प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर रहा है।
अमेरिका का आरोप—‘ईरान कर रहा है वैश्विक वित्तीय प्रणाली का दुरुपयोग’
अमेरिकी वित्त मंत्रालय के उपमंत्री जॉन के. हर्ले ने कहा:
“ईरान दुनियाभर की वित्तीय प्रणालियों का दुरुपयोग कर मनी लांड्रिंग और अपने पारंपरिक व परमाणु हथियार कार्यक्रमों के लिए आवश्यक सामग्री खरीद रहा है। ट्रंप प्रशासन इसे रोकने के लिए अधिकतम दबाव की नीति जारी रखेगा।”
अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की है कि वे संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करें ताकि ईरान की वैश्विक वित्तीय नेटवर्क तक पहुंच सीमित हो जाए।
भारतीय कंपनी भी सूची में शामिल
अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने भारत स्थित फार्मलेन प्राइवेट लिमिटेड का नाम प्रतिबंधित संस्थाओं में शामिल किया है। मंत्रालय का दावा है कि कंपनी का संबंध यूएई की ‘मार्को क्लिंगे’ से था, जिसने कथित तौर पर सोडियम क्लोरेट और सोडियम परक्लोरेट जैसी सामग्री ईरान के कार्यक्रम के लिए उपलब्ध कराई।
अमेरिका का सख्त संदेश
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह तीसरे देशों की संस्थाओं पर भी कार्रवाई करेगा ताकि ईरान के मिसाइल और यूएवी कार्यक्रमों के लिए सामग्रियों की खरीद को उजागर और बाधित किया जा सके।