10 नवंबर की शाम लाल किले के पास हुए आतंकी धमाकों ने पूरे इलाके को दहशत में ला दिया। मुश्किल यह थी कि विस्फोट के बाद कई कारों में आग लग गई और आसपास खड़े CNG टैंकों के फटने की आवाजों से माहौल युद्धभूमि जैसा हो गया। इसी अफरातफरी में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल थान सिंह और अजय कुमार ने अपनी जान की परवाह किए बिना 15–20 से ज्यादा घायलों को अस्पताल पहुंचाकर असाधारण बहादुरी दिखाई।
शाम करीब 7 बजे के आसपास पहला धमाका हुआ। पुलिस स्टेशन में मौजूद थान सिंह और अजय को सिर्फ तेज आवाज सुनाई दी, लेकिन वे बिना किसी आदेश का इंतजार किए मौके की ओर दौड़ पड़े। वहां का दृश्य दिल दहला देने वाला था—
अजय कुमार बताते हैं, “हम एक मिनट के अंदर स्पॉट पर पहुंच गए थे। चारों तरफ लोग चीख रहे थे, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वे घायलों को छू सकें।”
हालात बिगड़ते देख दोनों जवानों ने एम्बुलेंस का इंतजार करना ठीक नहीं समझा। उन्होंने खुद घायलों को उठाकर पुलिस वाहनों और आसपास की गाड़ियों में डालना शुरू कर दिया।
थान सिंह कहते हैं,
“डरने का वक्त ही नहीं था। बस यही लगा कि जितनी जानें बचा सकते हैं, बचानी हैं।”
कुछ ही मिनटों में दोनों पुलिसकर्मियों ने 15–20 गंभीर रूप से घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया। इस दौरान आसपास टैंक फटते रहे, आग की लपटें बढ़ती रहीं, लेकिन दोनों जवान लगातार लोगों को बाहर निकालते रहे।
इस पूरे घटनाक्रम में हेड कांस्टेबल थान सिंह और अजय कुमार ने जिस तरह अपनी जान की परवाह न करते हुए लोगों की मदद की, उसने उन्हें ‘रियल लाइफ हीरो’ बना दिया है। उनकी बहादुरी से कई परिवारों की जिंदगियां बच गईं।