Ekambaranathar Shiva Temple: 3500 साल पुराने चमत्कारी आम के पेड़ वाला शिवमंदिर, जहां मां पार्वती ने किया था तप

Ekambaranathar Shiva Temple: 3500 साल पुराने चमत्कारी आम के पेड़ वाला शिवमंदिर, जहां मां पार्वती ने किया था तप
November 15, 2025 at 8:36 pm

भारत में कई प्राचीन और चमत्कारी मंदिरों की मान्यता है, लेकिन तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित एकम्बरेश्वर शिव मंदिर अपनी अनोखी विशेषताओं और पौराणिक कथाओं के कारण खास महत्व रखता है। यह मंदिर पंच तत्वों में से पृथ्वी तत्व को समर्पित है। यहां एक ऐसा चमत्कारी आम का पेड़ भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस पर चार अलग-अलग प्रकार के आम लगते हैं।

पंच तत्वों में पृथ्वी का प्रतीक यह शिव मंदिर

हिंदू धर्म में भगवान शिव को पंचभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। कांचीपुरम का एकम्बरेश्वर मंदिर उन्हीं में से पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। मान्यता है कि यहां दर्शन और पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मन को शांति एवं समृद्धि प्राप्त होती है।

मंदिर में विराजमान हैं भगवान एकम्बरेश्वर और देवी एलावार्कुझाली

यह प्राचीन मंदिर अपने विशाल परिसर और आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान शिव एकम्बरेश्वर शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं, जबकि देवी पार्वती को एलावार्कुझाली रूप में पूजित किया जाता है। यह मंदिर भारत के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है और बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

दीवारों पर उकेरे गए हैं 1008 शिवलिंग

करीब 40 एकड़ में फैला यह मंदिर कांचीपुरम का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। यहां एक हजार स्तंभों वाला भव्य अयिरम काल मंडपम स्थित है, जिसकी दीवारों पर भगवान शिव की सुंदर प्रतिमाएं और 1008 शिवलिंग उकेरे गए हैं। इस ऐतिहासिक मंडप का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेवराय ने कराया था।

मां पार्वती ने आम के पेड़ के नीचे की थी तपस्या

एक प्रचलित कथा के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए मंदिर परिसर में स्थित एक आम के पेड़ के नीचे कठोर तप किया था। उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव ने पेड़ को जलाने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु ने पेड़ को सुरक्षित बचा लिया। बाद में मां गंगा भी आईं, लेकिन पार्वती के प्रेम और दृढ़ता के आगे उन्हें भी लौटना पड़ा। अंततः भगवान शिव प्रसन्न हुए और मानव स्वरूप में पार्वती से विवाह किया।

3500 साल पुराना चमत्कारी आम का पेड़

मंदिर परिसर में मौजूद वही आम का पेड़ आज भी चमत्कारी माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि यह पेड़ 3500 वर्ष से भी अधिक पुराना है और आज भी इस पर चार तरह के आम आते हैं, जिन्हें चारों वेदों का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि निसंतान दंपति इस पेड़ की पूजा करते हैं तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है।