उत्तर प्रदेश की राजनीति में शनिवार को बड़ी हलचल मच गई, जब मऊ जिले की हाई-प्रोफाइल घोसी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक सुधाकर सिंह के निधन की खबर सामने आई। 67 वर्षीय नेता ने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली। उनकी मौत की सूचना से पूर्वांचल सहित पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।
विधायक के बेटे डॉ. सुजीत सिंह ने उनके निधन की पुष्टि की। परिवार के अनुसार, कुछ दिन पहले दिल्ली से लौटने के बाद अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। जानकारी मिलते ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अस्पताल पहुंचे और शोकग्रस्त परिवार से मुलाकात की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई दिग्गज नेताओं ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
2023 की तरह फिर होगा बड़ा मुकाबला
घोसी सीट हाल के वर्षों में लगातार उपचुनावों का केंद्र रही है। 2022 विधानसभा चुनाव में दारा सिंह चौहान सपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन बाद में भाजपा में शामिल होकर उन्होंने विधायकी छोड़ दी। इसके चलते 2023 उपचुनाव हुए और सुधाकर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को लगभग 43,000 वोटों से हराकर सपा को बड़ी जीत दिलाई थी। यह परिणाम INDIA गठबंधन के लिए मनोबल बढ़ाने वाला माना गया था।
अब सुधाकर सिंह के निधन के चलते घोसी सीट फिर रिक्त हो गई है। चुनावी नियमों के अनुसार, किसी भी विधायी सीट पर मृत्यु के बाद 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराया जाना अनिवार्य है। ऐसे में 2027 के आम विधानसभा चुनाव से काफी पहले घोसी में फिर मतदान होना तय है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपचुनाव सपा और भाजपा के बीच सीधी टक्कर का मैदान बनेगा और पूर्वांचल की राजनीति में नई हलचल लाएगा।
कौन थे सुधाकर सिंह?
सुधाकर सिंह घोसी के कद्दावर नेता माने जाते थे। किसानों और पिछड़े वर्ग में उनकी पकड़ मजबूत थी। वे 2012 में भी इसी सीट से विधायक चुने गए थे। सपा के लिए वे पूर्वांचल में मजबूत चेहरा थे, इसलिए उनका निधन पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
चर्चा है कि सपा इस उपचुनाव में उनके परिवार के किसी सदस्य को टिकट दे सकती है, जबकि भाजपा एक बार फिर दारा सिंह चौहान को मैदान में उतारने की तैयारी कर सकती है। चुनाव आयोग जल्द ही उपचुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा।
सुधाकर सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा, जहां बड़ी संख्या में समर्थक पहुंच रहे हैं।