पटना: बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने नए मंत्रिमंडल की विभागों की सूची जारी कर दी है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस बार के कैबिनेट फेरबदल में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला निर्णय रहा डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय सौंपना। गृह मंत्रालय न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था से जुड़ा अहम विभाग है, बल्कि यह सरकार की कार्यशैली और पुलिस प्रशासन पर सीधे प्रभाव डालता है।
सत्ता समीकरण बदले, BJP ने हासिल किए बड़े मंत्रालय
2025 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा और जेडीयू गठबंधन की नई सरकार बनी। इस गठबंधन में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, इसलिए मंत्रालयों के बंटवारे में उसका प्रभाव साफ दिखाई देता है। भाजपा ने रणनीतिक तरीके से गृह, स्वास्थ्य, उद्योग जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया है।
राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा ने सांकेतिक रूप से यह दर्शाया है कि वह राज्य में कानून-व्यवस्था की दिशा को नियंत्रित करना चाहती है, और यही वजह है कि सम्राट चौधरी को गृह विभाग दिया गया।
भाजपा को मिले प्रमुख मंत्रालय – विस्तृत सूची:
जेडीयू के मंत्रियों को मिले विभाग – विस्तृत सूची:
जेडीयू, भले ही इस बार भाजपा से कम सीटें लेकर आई हो, लेकिन पार्टी को विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर कई अहम विभाग दिए गए हैं।
क्यों भाजपा ने गृह मंत्रालय पर जोर दिया?
भाजपा ने इस चुनाव में 89 सीटें जीती थीं, जबकि जेडीयू को 85 सीटें मिलीं। गठबंधन में सबसे बड़ा दल होने की वजह से भाजपा ने गृह मंत्रालय पर दावा ठोका।
गृह विभाग हमेशा से किसी भी सरकार का सबसे प्रमुख और प्रभावशाली मंत्रालय होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि:
नीतीश कुमार की राजनीतिक रणनीति
नीतीश कुमार ने अपने विश्वसनीय नेताओं को ऊर्जा, वित्त, ग्रामीण विकास और जल संसाधन जैसे विभाग दिए हैं, जिन्हें वे अपने शासन मॉडल की रीढ़ मानते हैं।
नीतीश कुमार का फोकस प्रशासनिक स्थिरता बनाए रखना है, जबकि भाजपा का लक्ष्य है प्रभाव बढ़ाना।
आने वाले दिनों में क्या उम्मीद?
नए मंत्रियों के कार्यभार संभालते ही राज्य में कई बदलावों की उम्मीद की जा रही है—
बिहार की जनता अब इस नए मंत्रिमंडल से उम्मीद लगाए बैठी है कि राज्य में विकास की गति तेज होगी और प्रशासनिक व्यवस्था अधिक प्रभावशाली बनेगी।