रूस के राष्ट्रपति पुतिन के भारत आगमन के साथ ही दिल्ली आज कूटनीति के एक दुर्लभ क्षण की गवाह बन गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद पालम एयरपोर्ट पहुंचकर पुतिन का स्वागत किया, और दोनों नेता अलग-अलग वाहनों में नहीं, बल्कि एक ही कार में बैठकर रवाना हुए।
यह दृश्य बिल्कुल वैसा ही होगा जैसा अक्सर SCO समिट के दौरान देखा गया था, जब मोदी और पुतिन ने औपचारिकताओं से ऊपर उठकर एक दोस्ताना रिश्ते का परिचय दिया था।
‘कार डिप्लोमेसी’ का शक्तिशाली संदेश
आम तौर पर किसी राष्ट्राध्यक्ष की सुरक्षा के लिए उनका अलग काफिला होता है।
लेकिन सुरक्षा प्रोटोकॉल के बावजूद दोनों नेताओं का एक ही गाड़ी में सफर करना वैश्विक कूटनीति में उच्चतम स्तर के विश्वास का प्रतीक माना जा रहा है।
कूटनीति विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम पश्चिमी देशों की आलोचनाओं और रूस पर लगे प्रतिबंधों के बीच भारत द्वारा अपने पुराने मित्र के प्रति दिखाए जा रहे भरोसे का सार्वजनिक प्रदर्शन होगा।
20 मिनट की ड्राइव में होगी‘ असली कूटनीति’
पालम एयरपोर्ट से वेन्यू तक की यात्रा लगभग 20–25 मिनट की मानी जा रही है। विश्लेषकों का कहना है कि यही समय सबसे महत्वपूर्ण होगा—
कार की पिछली सीट पर दोनों नेताओं के बीच सीधी और बेबाक बातचीत हो सकती है।
संभावित चर्चा के विषय:
ऐसे निजी क्षण अक्सर औपचारिक वार्ताओं से कहीं अधिक परिणाम देते हैं।
पश्चिम के लिए संदेश— ‘हम साथ हैं’
अमेरिका और यूरोप के बीच पिछले महीनों से यह नैरेटिव चल रहा था कि भारत रूस से दूरी बना रहा है। लेकिन मोदी और पुतिन का एक ही गाड़ी में सफर पूरी दुनिया को स्पष्ट संदेश देगा कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर समझौता नहीं करता।
भारत किसी भी पुराने साझेदार को वैश्विक दबावों के चलते छोड़ने के मूड में नहीं है — यही तस्वीर दिल्ली की सड़कों पर दिखाई देगी।
कौन सी कार? Aurus या Maybach?
यह भी उत्सुकता का विषय है कि दोनों नेता किस कार में बैठेंगे।
यदि पीएम मोदी पुतिन की Aurus Senat में बैठते हैं—
यदि पुतिन मोदी की Maybach में बैठते हैं—
दोनों ही विकल्प भारत-रूस रिश्तों की गहराई का प्रतीक बनेंगे।
महत्वपूर्ण: बहुत कम नेताओं के लिए पीएम मोदी खुद एयर पोर्ट जाते हैं
पिछले एक दशक में पीएम मोदी कुछ चुनिंदा वैश्विक नेताओं के स्वागत के लिए ही एयरपोर्ट पहुंचे हैं — जिनमें
अब पुतिन का इस सूची में शामिल होना भारत–रूस दोस्ती की मजबूती को और पुख्ता करता है।