देश के ग्रामीण रोजगार सिस्टम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मोदी सरकार आज संसद में VB-G RAM G Bill 2025 पेश करने जा रही है, जो मौजूदा मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेगा। इस बिल का पूरा नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान इसे लोकसभा में पेश करेंगे।
सरकार का दावा है कि यह नया कानून ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें न सिर्फ रोजगार के दिन बढ़ाए गए हैं, बल्कि टेक्नोलॉजी, खेती के सीजन और टिकाऊ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी खास फोकस किया गया है।
125 दिन रोजगार की गारंटी
अब ग्रामीण परिवारों को साल में 100 नहीं बल्कि 125 दिन अकुशल शारीरिक श्रम की गारंटी मिलेगी।
बदला फंडिंग फॉर्मूला
अब मजदूरी का पूरा बोझ केंद्र पर नहीं होगा।
खेती के सीजन में काम पर रोक
बुवाई और कटाई के समय योजना के तहत काम बंद रहेगा, ताकि किसानों को मजदूरों की कमी न हो।
15 दिन में काम नहीं तो बेरोजगारी भत्ता
काम मांगने के 15 दिन के भीतर रोजगार नहीं मिला तो राज्य सरकार भत्ता देगी।
चार प्राथमिक क्षेत्रों पर फोकस
डिमांड-ड्रिवन नहीं, Allocation-Based बजट
अब केंद्र सरकार हर राज्य के लिए पहले से बजट तय करेगी। तय सीमा से ज्यादा खर्च होने पर पैसा राज्य को देना होगा।
हाईटेक हाजिरी और भुगतान सिस्टम
बायोमेट्रिक अटेंडेंस, GPS मॉनिटरिंग और AI आधारित प्लानिंग व ऑडिट सिस्टम लागू होगा।
मजदूरी दर कम नहीं होगी
नई मजदूरी दर केंद्र सरकार तय करेगी, लेकिन यह मनरेगा की मौजूदा दर से कम नहीं होगी।
राज्यों को 6 महीने में बनानी होंगी नई योजनाएं
बिल लागू होने के बाद राज्यों को तय समय में नए नियमों के अनुसार योजना तैयार करनी होगी।
नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक
गांवों में बने हर काम और संपत्ति का डिजिटल रिकॉर्ड एक राष्ट्रीय डेटाबेस में रखा जाएगा।
सरकार इसे मनरेगा का ‘मेजर अपग्रेड’ बता रही है। हालांकि, राज्यों पर बढ़ते वित्तीय बोझ और बजट सीमा को लेकर संसद में तीखी बहस के आसार हैं।