जहरीली हवा बन रही हार्ट अटैक की वजह? PM2.5 कैसे खून में घुलकर दिल पर करता है हमला, समझिए पूरी क्रोनोलॉजी

जहरीली हवा बन रही हार्ट अटैक की वजह? PM2.5 कैसे खून में घुलकर दिल पर करता है हमला, समझिए पूरी क्रोनोलॉजी
December 17, 2025 at 1:23 pm

दिल्ली-NCR की हवा इस वक्त बेहद जहरीली हो चुकी है। AQI का स्तर लगातार खतरनाक श्रेणी में बना हुआ है, जिससे सिर्फ सांस लेने में दिक्कत नहीं, बल्कि दिल की बीमारियों का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। एक्सपर्ट्स और मेडिकल स्टडीज का दावा है कि बढ़ता वायु प्रदूषण, खासकर PM2.5 के कण, हार्ट अटैक के मामलों में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

अब तक आम लोगों को यह लगता रहा है कि प्रदूषण का असर सिर्फ आंखों में जलन, गले में खराश, खांसी या सांस की परेशानी तक सीमित है। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक यह सोच अधूरी है। हवा में मौजूद बेहद महीन PM2.5 कण सीधे खून में मिलकर दिल की नलियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

PM2.5 क्या है और ये कितना खतरनाक है?

PM2.5 का मतलब है ऐसे कण जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। ये इतने सूक्ष्म होते हैं कि आंखों से दिखाई नहीं देते। विशेषज्ञ बताते हैं कि PM2.5 के लगभग 30 कण मिलकर इंसान के बाल जितने मोटे होते हैं। यही वजह है कि ये कण शरीर के प्राकृतिक फिल्टर को आसानी से पार कर जाते हैं।

फेफड़ों से खून तक कैसे पहुंचते हैं PM2.5 कण?

आमतौर पर नाक के बाल और गले की म्यूकस परत बड़े प्रदूषण कणों को रोक लेती है, लेकिन PM2.5 इतना महीन होता है कि यह सीधे फेफड़ों के सबसे निचले हिस्से, यानी एल्वियोलाई (Alveoli) तक पहुंच जाता है।
एल्वियोलाई की दीवारें बेहद पतली होती हैं, जिनसे होकर ऑक्सीजन खून में जाती है। PM2.5 इन्हीं दीवारों को पार कर सीधे रक्त प्रवाह में मिल जाता है।

खून में पहुंचते ही क्या करता है PM2.5?

एक बार खून में घुलने के बाद ये कण पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इससे धमनियों में सूजन आ जाती है और वे सिकुड़ने लगती हैं। नतीजतन दिल को खून पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट स्ट्रेस बढ़ता है।

इतना ही नहीं, PM2.5 खून को गाढ़ा बना देता है, जिससे ब्लड क्लॉट (थक्का) बनने की आशंका बढ़ जाती है। अगर यह थक्का दिल की किसी धमनी में फंस जाए, तो हार्ट अटैक की स्थिति बन सकती है।

दिल की मांसपेशियों को भी पहुंचता है नुकसान

विशेषज्ञ बताते हैं कि ये कण शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस पैदा करते हैं, जिसे आम भाषा में “जंग लगना” कहा जा सकता है। इससे दिल की मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं और हार्ट की पंपिंग क्षमता प्रभावित होती है।
इसके अलावा, PM2.5 दिल की धड़कन को भी अनियमित कर सकता है, जिससे अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है।

सिर्फ दिल्ली नहीं, पूरे देश की समस्या

हालांकि दिल्ली का प्रदूषण सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है, लेकिन देश के कई बड़े शहरों में सालभर AQI खराब रहता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि शहरों में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों का एक बड़ा कारण वायु प्रदूषण भी है, न कि सिर्फ खान-पान या लाइफस्टाइल।

एक्सपर्ट्स की चेतावनी

डॉक्टर्स और रिसर्चर्स का कहना है कि अब AQI को सिर्फ “बाहर जाएं या न जाएं” तक सीमित नहीं देखा जा सकता। यह सीधे दिल की सेहत से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन चुका है।
लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहना धमनियों में प्लाक जमने, ब्लड प्रेशर बढ़ने और दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।

निष्कर्ष:
जहरीली हवा सिर्फ आंख-नाक की परेशानी नहीं, बल्कि दिल के लिए साइलेंट किलर बनती जा रही है। एक्सरसाइज और सही खान-पान जरूरी हैं, लेकिन साफ हवा भी उतनी ही अहम है, वरना “दर्द-ए-दिल” की असली वजह यही हवा बन सकती है।