उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक अनोखा और चर्चा में रहने वाला मामला सामने आया है, जिसने बायोमेट्रिक पहचान व्यवस्था को चुनौती दी है। कानपुर के नौबस्ता निवासी जुड़वा भाई प्रबल मिश्रा और पवित्र मिश्रा के फिंगर प्रिंट और रेटिना स्कैन (आंखों के रेटिना पैटर्न) इतने समान पाए गए कि आधार प्रणाली त्रुटि का सामना करने लगी।
बायोमेट्रिक अपडेट के दौरान, जब एक भाई का फिंगरप्रिंट या रेटिना स्कैन सिस्टम में डाला गया, तो तकनीकी प्रणाली उसे दूसरे भाई के रिकॉर्ड के रूप में पहचान कर देती थी। इसी वजह से आधार अपडेट तीन बार तक फेल हो गया और दोनों भाइयों का आधार डेटा अमान्य हो गया।
मामले के बारे में बताते हुए पिता पवन मिश्रा ने कहा कि जब दोनों भाई 10 साल के हुए तो उन्होंने आधार सेवा केंद्र पर बायोमेट्रिक अपडेट कराने का निर्णय लिया। शुरू में तो प्रक्रिया पूरी की गई, लेकिन कुछ समय बाद पता चला कि केवल एक ही आधार वैध है। इसके बाद जब दोबारा जांच कराई गई, तो दूसरी बार भी समस्या आई और दोनों बार अलग-अलग आधार अमान्य हो गया। कुल मिलाकर यह स्थिति तीन बार दोहराई गई।
इस घटना ने आधार से जुड़े अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है। आम तौर पर वैज्ञानिक मानते हैं कि जुड़वां बच्चों के फिंगर प्रिंट 55 % से 74 % तक मिलते-जुलते हो सकते हैं, लेकिन पूर्ण समानता बेहद दुर्लभ मानी जाती है। विशेषज्ञों ने कहा है कि इस तरह की समानता की वजह से पहचान प्रणाली में भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है और गहन तकनीकी जांच की आवश्यकता है।
फिलहाल यह मामला कानपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में सुर्खियों में है, और इसकी जांच से जुड़े अधिकारियों ने आगे की कार्रवाई और विस्तृत जांच का संदेश दिया है।