सोने की लगातार बढ़ती कीमतों ने भारतीय ज्वेलरी बाजार की कमर तोड़ दी है। ग्राहकों ने भारी और शुद्ध सोने के गहने खरीदने से लगभग दूरी बना ली है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) की नई रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई–सितंबर 2025 तिमाही में भारत में गोल्ड ज्वेलरी की मांग 31% गिरकर 2020 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
इस साल सोने की कीमतें 60% तक चढ़ चुकी हैं, जिसके चलते उपभोक्ता भावनाएं कमजोर पड़ी हैं। बाजार को उम्मीद है कि कीमतों में राहत आने पर ही बिक्री वापस सामान्य हो सकेगी।
ज्वेलरी बाजार में ऐतिहासिक गिरावट
देश के प्रमुख जेम्स एंड ज्वेलरी हब—अहमदाबाद, सूरत और राजकोट—में महीनों से ग्राहकों की कमी देखने को मिल रही है। सोने का रेट 10 ग्राम पर 1.26 लाख रुपये तक पहुंचने से लोग गहने खरीदना टाल रहे हैं।
गुजरात में स्थिति और भी खराब रही। एयर कार्गो डेटा के अनुसार, जुलाई–अगस्त में सोने का आयात 85% तक घट गया, जिससे ज्वेलरी कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ।
24 कैरेट और भारी डिज़ाइन वाले गहनों की बिक्री धड़ाम
ज्वेलर्स का कहना है कि कीमतें बढ़ते ही लोग सबसे पहले 22 कैरेट और 24 कैरेट की भारी ज्वेलरी से किनारा कर लेते हैं।
इस सीजन में ग्राहकों ने:
वहीं पारंपरिक, भारी और शुद्धता-प्रधान ज्वेलरी की बिक्री में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
ज्वेलरी नहीं, गोल्ड कॉइन्स और बार्स खरीद रहे लोग
दिलचस्प बात यह है कि जहां गहनों की मांग गिरी, वहीं सोने के सिक्कों और बार्स की मांग में 20% की वृद्धि दर्ज हुई।
WGC रिपोर्ट के मुताबिक:
विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतें बढ़ीं तो लोग खरीदने की बजाय बेचने या एक्सचेंज करने का रास्ता चुनने लगे। दुकानों में नकद बिक्री कम, जबकि एक्सचेंज ट्रांजैक्शन अधिक बढ़े।
2025 में 60% चढ़ा सोना—इतिहास दोहराया
भारत में सोने का दाम इस साल अब तक 46,762 रुपये बढ़ चुका है।
इतनी तीव्र तेजी पहले 2008 से 2011 के बीच देखने को मिली थी, जब सोने की कीमतें 100% तक बढ़ी थीं।
क्यों बढ़े दामों में लोग सिक्के ज्यादा खरीद रहे हैं?