हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में हर साल की भारी बढ़ोतरी से नाराज केंद्र सरकार अब बीमा कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाने की तैयारी में है। सरकार एजेंट कमीशन से लेकर अस्पतालों के पैकेज रेट तक कई बड़े सुधारों पर काम कर रही है। इसके लिए वित्त मंत्रालय, इरडा (IRDAI), बीमा कंपनियों और बड़े अस्पतालों के साथ चर्चा जारी है।
हेल्थ इंश्योरेंस महंगा होने पर सरकार की नाराजगी
भारत में मेडिकल इन्फ्लेशन इस समय 11.5% है, जो दुनिया में सबसे अधिक माना जा रहा है। कोविड-19 के बाद, यानी 2021-22 से हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम लगातार तेज़ी से बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक बीमा कंपनियों ने हर साल प्रीमियम में बड़ी वृद्धि की है, जिस पर सरकार ने कड़ा ऐतराज जताया है।
प्रीमियम बढ़ोतरी पर लग सकती है सीमा
सरकार प्रीमियम बढ़ोतरी की एक निश्चित सीमा तय करने पर विचार कर रही है, ताकि बीमा कंपनियां हर साल मनमाने तरीके से राशि न बढ़ा सकें। इसके साथ ही नई हेल्थ पॉलिसी पर एजेंट कमीशन को अधिकतम 20% और सालाना रिन्यूअल कमीशन को 10% तक सीमित करने का प्रस्ताव दिया गया है।
पारदर्शिता पर जोर
सरकार चाहती है कि हर दावा (क्लेम), अस्पताल बिल और डिस्चार्ज समरी पूरी तरह से पारदर्शी हो। इसके अलावा बीमा कंपनियों और अस्पतालों द्वारा मिलकर तय किए जाने वाले ‘पैकेज रेट’ पर भी सख्त नियंत्रण लगाया जा सकता है।
बड़ी बैठक में तय हुए संकेत
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय ने बीमा कंपनियों के CEO, अस्पताल मालिकों और IRDAI अधिकारियों के साथ बंद कमरे में बैठक की। इस दौरान मंत्रालय ने बीमा कंपनियों की मनमानी प्रीमियम वृद्धि पर कड़ी असहमति जताई।
अस्पतालों का विरोध
सरकारी प्रस्ताव पर अस्पतालों का कहना है कि उनका मार्जिन पहले से ही कम है। वहीं कंपनियाँ प्रीमियम तो बढ़ाती हैं लेकिन क्लेम देने में कटौती करती हैं।
नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज आएगा
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इसी पारदर्शिता के लिए नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज लॉन्च किया जा रहा है। इससे सभी बीमा क्लेम डिजिटल, ट्रांसपेरेंट और तेज़ी से प्रोसेस होंगे।