भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बड़ा निर्णय लेते हुए रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर दी। इसके साथ ही रेपो रेट 5.50% से घटकर 5.25% हो गया है। समिति ने अपनी मौद्रिक नीति का रुख ‘न्यूट्रल’ ही बनाए रखा।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय ‘गोल्डि लॉक्स पीरियड’ से गुजर रही है, जहां महंगाई नियंत्रित है और आर्थिक विकास मजबूती दिखा रहा है। ऐसी स्थितियाँ ब्याज दरों में कटौती की अनुमति देती हैं।
ब्याज दर घटने से क्या होगा असर?
1. होम लोन EMI घट सकती है
रेपो रेट से सीधे जुड़े EBLR (External Benchmark Lending Rate) वाले लोन रखने वाले ग्राहकों को EMI में सीधे कमी देखने को मिलेगी। कई बैंकों के लाखों ग्राहकों को इसका फायदा मिलेगा।
2. MCLR-बेस रेट वाले ग्राहकों को धीरे लाभ
पुराने बेंचमार्क वाले लोन — जैसे MCLR या बेस रेट — वालों को EMI में राहत मिलने में थोड़ा समय लग सकता है, क्योंकि बैंकों की पास-ऑन प्रक्रिया धीमी होती है।
3. बाजार में बढ़ेगी लिक्विडिटी
क्रेडिट सस्ता होने से उपभोग व निवेश में तेजी आने की उम्मीद है। इससे अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिल सकती है।
GDP और महंगाई के अनुमान भी बदले
RBI ने वित्त वर्ष 2025–26 के GDP ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 7.3% कर दिया है, जबकि महंगाई का अनुमान घटाकर 2.0% किया गया है। इससे संकेत मिलता है कि आगे भी आर्थिक स्थितियों के आधार पर रेट में बदलाव संभव है।
गवर्नर मल्होत्रा ने संकेत दिया कि यदि महंगाई नीचे रहती है और ग्रोथ मजबूत बनी रहती है, तो आगे और रेट कट की गुंजाइश बन सकती है।