Chandra Grahan 2025: भादप्रद मास की पूर्णिमा यानी 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2025) लगने जा रहा है। भारतीय समय अनुसार यह चंद्र ग्रहण रात 9:57 से लेकर देर रात 1:26 तक बना रहेगा। यह चंद्र ग्रहण कुल 3 घंटे 29 मिनट रहेगा और भारत में पूरी तरह दृश्य होगा। शास्त्रानुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इसलिए इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 से लग जाएगा।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है और कुंभ राशि में पहले से ही राहु स्थित हैं। चंद्र और राहु दोनों के कुंभ में आने से राहु-चंद्रमा की युति के साथ ग्रहण योग का निर्माण होगा। ऐसे में ‘ग्रहण योग’ और ‘चंद्र ग्रहण’ के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चंद्रमा के बीज मंत्र का या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप लाभकारी होगा।
धार्मिक मान्यतानुसार, जब राहु सूर्य या चंद्र को ग्रसता है यानी निगलता है, तब ग्रहण पड़ता है। इस मान्यता के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक समय की बात है जब देवताओं और दानवों ने एक साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले। अंतिम रत्न के रूप में अमृत कलश निकला। उस अमृत को देवताओं को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। जिस समय मोहिनी देवताओं को अमृत पिला रही थी, उसी समय स्वरभानु नाम का दानव देवताओं के बीच भेष बदलकर बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया।
सूर्य-चंद्र ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु से स्वरभानु की सच्चाई को बता दिया। भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक वह दानव अमृत पी चुका था, इस वजह से वह अमर हो गया। सिर का हिस्सा राहु नाम से जबकि धड़ केतु के नाम से जाना गया। स्वरभानु की शिकायत सूर्य-चंद्र ने की थी, इस वजह से राहु इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है। इसी ग्रसने को ग्रहण कहते हैं।