7 सितंबर की रात 3 घंटे 29 मिनट तक रहेगा चंद्र ग्रहण, जानें सूतक काल कब होगा शुरू और इस दौरान क्या करें एवं क्या न करें।

7 सितंबर की रात 3 घंटे 29 मिनट तक रहेगा चंद्र ग्रहण, जानें सूतक काल कब होगा शुरू और इस दौरान क्या करें एवं क्या न करें।
September 5, 2025 at 11:42 pm

Chandra Grahan 2025: भादप्रद मास की पूर्णिमा यानी 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2025) लगने जा रहा है। भारतीय समय अनुसार यह चंद्र ग्रहण रात 9:57 से लेकर देर रात 1:26 तक बना रहेगा। यह चंद्र ग्रहण कुल 3 घंटे 29 मिनट रहेगा और भारत में पूरी तरह दृश्य होगा। शास्त्रानुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इसलिए इस चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 से लग जाएगा।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है और कुंभ राशि में पहले से ही राहु स्थित हैं। चंद्र और राहु दोनों के कुंभ में आने से राहु-चंद्रमा की युति के साथ ग्रहण योग का निर्माण होगा। ऐसे में ‘ग्रहण योग’ और ‘चंद्र ग्रहण’ के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए चंद्रमा के बीज मंत्र का या ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप लाभकारी होगा।

चंद्र ग्रहण से जुड़ी धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथा

धार्मिक मान्यतानुसार, जब राहु सूर्य या चंद्र को ग्रसता है यानी निगलता है, तब ग्रहण पड़ता है। इस मान्यता के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। एक समय की बात है जब देवताओं और दानवों ने एक साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले। अंतिम रत्न के रूप में अमृत कलश निकला। उस अमृत को देवताओं को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। जिस समय मोहिनी देवताओं को अमृत पिला रही थी, उसी समय स्वरभानु नाम का दानव देवताओं के बीच भेष बदलकर बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया।

सूर्य-चंद्र ने स्वरभानु को पहचान लिया और भगवान विष्णु से स्वरभानु की सच्चाई को बता दिया। भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन तब तक वह दानव अमृत पी चुका था, इस वजह से वह अमर हो गया। सिर का हिस्सा राहु नाम से जबकि धड़ केतु के नाम से जाना गया। स्वरभानु की शिकायत सूर्य-चंद्र ने की थी, इस वजह से राहु इन दोनों को दुश्मन मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है। इसी ग्रसने को ग्रहण कहते हैं।

ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें

  1. ग्रहण भोजन को अशुद्ध कर देता है। अगर ग्रहण के दौरान आप भोजन करते हैं तो आपका निकट भविष्य में स्वास्थ्य खराब हो सकता है।

  2. सूतक के दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। इसलिए बेहतर है कि मंदिर के पट बंद कर दें।

  3. ग्रहण के दौरान देव तुल्य पेड़-पौधों को स्पर्श करने से बचना चाहिए। जैसे तुलसी, पीपल, बरगद आदि। जबकि सूतक काल से पहले ही तुलसी दल तोड़कर अपने सभी खाद्य पदार्थों में डाल देना चाहिए। इससे खाद्य पदार्थ दूषित नहीं होते।

  4. ग्रहण के दौरान सोना भी वर्जित बताया गया है। मान्यतानुसार, ऐसा करने से भाग्य हानि होती है। जबकि इस दौरान जप ध्यान भाग्य की वृद्धि करता है।

  5. चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं घूमना चाहिए।

  6. ग्रहण के दौरान धारदार चाकू, कैंची और सुई आदि नुकीली वस्तुओं का उपयोग भी वर्जित बताया गया है।

  7. बिना आंखों की सुरक्षा के चंद्र ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से भविष्य में आपको आंखों में परेशानी बन सकती है।

  8. ग्रहण के दौरान क्षौर कर्म भी वर्जित है। अर्थात दाढ़ी, बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।

  9. चंद्र ग्रहण के दौरान स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य क्षीण होते हैं। हालांकि, ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान जरूर करना चाहिए।

  10. ग्रहण का समय लड़ाई, झगड़ों या किसी नकारात्मक चीजों पर बर्बाद नहीं करना चाहिए। जबकि अधिकतर समय मानसिक पूजन और ध्यान व्यतीत करना चाहिए।