आदि विनायक मंदिर, तिरुवरूर, तमिलनाडु

आदि विनायक मंदिर, तिरुवरूर, तमिलनाडु
May 28, 2025 at 5:40 am

प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित यह मंदिर भारत के तमिलनाडु प्रांत के तिरुवरूर जिले में स्थित है। यह मंदिर अपनी खासियत और पौराणिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर दूसरे मंदिरों से बिल्कुल अलग है। जहां हर मंदिर में भगवान गणेश गज रूप में विराजमान हैं, तो वहीं इस मंदिर में भगवान की पूजा इंसान के रूप में की जाती है। यह मंदिर तिलतर्पण पुरी के नाम से भी दुनियां भर में जाना जाता है। तिलतर्पण का मतलब होता है कि पितरों को समर्पित शहर।

आदि विनायक मंदिर में भगवान गणपति के इंसान के चेहरे वाली प्रतिमा स्थापित है। गज मुख लगाए जाने से पहले भगवान का चेहरा का इंसान था, इसलिए विनायक मंदिर में उनके इस रूप की पूजा होती है। आदि विनायक मंदिर में भगवान गणेश के साथ यहां पर भगवान शिव और माता सरस्वती की भी पूजा होती है। इस मंदिर में विशेष तौर पर भगवान शंकर की ही पूजा होती है, लेकिन श्रद्धालु आदि विनायक और मां सरस्वती की भी पूजा करते हैं। बताया जाता है कि महा गुरु अगस्त्य ऋषि स्वयं हर “संकटहार चतुर्थी” को आदि विनायक की पूजा करते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस मंदिर का इतिहास त्रेतायुग के रामायण काल से जुड़ा है। इस प्रसिद्ध आदि विनायक मंदिर में भगवान राम ने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा की थी। तब से ही इस मंदिर में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करने की मान्यता है। लोग अपने पितरों की शांति के लिए नदी किनारे पूजा करते हैं, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान मंदिर में किया जाता है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान राम अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए जब पूजा कर रहे थे, तो उनके रखे चार चावल के लड्डू कीड़े के रूप में बदल गए थे। भगवान राम जब-जब ऐसा करते तो चावल के लड्डू कीड़े के रूप में परिवर्तित हो जाते। इसके बाद भगवान राम ने शिव जी से इसका हल जानने की कोशिश की, तो भगवान शंकर ने आदि विनायक मंदिर में विधिपूर्वक पूजा करने की सलाह दी। इसके बाद भगवान राम ने पितरों की आत्मा शांति के लिए पूजा की। मान्यता है कि पूजा के दौरान चावल के चार पिंड शिवलिंग बन गए। यह चारों शिवलिंग आदि विनायक मंदिर के पास मौजूद मुक्तेश्वर मंदिर में स्थापित हैं जिनकी पूजा की जाती है।