तिरुपति बालाजी मंदिर, तिरुमला

तिरुपति बालाजी मंदिर, तिरुमला
March 20, 2025 at 2:33 pm

भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर भारत के आंध्रप्रदेश प्रांत के चित्तूर जिले के तिरुमला पर्वत पर स्थित है। विश्व विख्यात यह मंदिर भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है जो भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। मान्यतानुसार, भगवान वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ यहां निवास करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास बहुत समृद्ध है। इसे ‘टेम्पल ऑफ सेवन हिल्स’ भी कहा जाता है। मंदिर का निर्माण करीब तीसरी शाताब्दी के आस पास हुआ है और अलग-अलग वंश के शासकों द्वारा समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसकी उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय द्वारा की गई थी। तीसरी शताब्दी में बने इस मंदिर की ख्याति 15वीं शाताब्दी के बाद काफी बढ़ी जो कि आजतक बरकरार है।

भगवान विष्णु को समर्पित तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Temple) की वास्तुकला और शिल्पकला बहुत ही अद्भुत है। इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ती खास पत्थर से बनी है। मंदिर में स्थापित प्रतिमा ऐसी लगती है जैसे भगवान विष्णु खुद यहां विराजित हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी भी स्थापित हैं, जिनकी वजह से श्री वेंकेटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परंपरा है। कुछ रहस्यों में एक रहस्य ये है की भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं जो कभी उलझते नहीं हैं। मूर्ति के पृष्ठ भाग पर हमेशा पसीना आता रहता है और मूर्ति पर कान लगाके सुनने पर समुद्र की लहरों की आवाजें सुनाई देती है।

तिरुपति बालाजी मंदिर की सबसे चमत्कारिक बात ये है कि मंदिर में एक दिया जलता रहता है जिसमें कभी तेल या घी नहीं डाला जाता और कब से नहीं डाला गया ये बात भी अब तक रहस्य ही है। तिरुपति बालाजी मंदिर में मुख्‍य द्वार पर दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। इस छड़ी के बारे में कहा जाता है कि बाल्‍यावस्‍था में इस छड़ी से ही भगवान बालाजी की पिटाई की गई थी, इस कारण उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी। इस कारणवश तब से आज तक उनकी ठुड्डी पर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता है। ताकि उनका घाव भर जाए।

मान्यता है कि भगवान बालाजी के हृदय पर मां लक्ष्मी विराजमान रहती हैं। माता की मौजूदगी का पता तब चलता है जब हर गुरुवार को बालाजी का पूरा श्रृंगार उतारकर उन्हें स्नान करावाकर चंदन का लेप लगाया जाता है। जब चंदन लेप हटाया जाता है तो हृदय पर लगे चंदन में देवी लक्ष्मी की छवि उभर आती है। इसी कारण भगवान की प्रतिमा को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है। तिरुपति बालाजी मंदिर की एक और रहस्यमई बात ये है कि जब आप भगवान बालाजी के गर्भ ग्रह में जाकर देखेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा कि मूर्ति गर्भ गृह के मध्‍य में स्थित है। वहीं जब गर्भ गृह से बाहर आकर देखेंगे तो लगेगा कि मूर्ति दाईं ओर स्थित है।

भगवान बालाजी की प्रतिमा पर खास तरह का पचाई कपूर लगाया जाता है। वैज्ञानिक मत है कि इसे किसी भी पत्‍थर पर लगाया जाता है तो वह कुछ समय के बाद ही चटक जाता है। लेकिन भगवान की प्रतिमा पर कोई असर नहीं होता। देश के साथ ही विदेश से भी श्रद्धालु मंदिर दर्शन के लिए पहुंचते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रतिदिन 50 हजार से लेकर एक लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह ऐसा मंदिर है जहां पूरे साल भक्तों की भीड़ रहती है। व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए ऑनलाइन टिकटिंग की सुविधा प्रदान की गई है। श्रद्धालु ऑनलाइन टिकट बुक कराके दर्शन कर सकते हैं।