भारत में आस्था और चमत्कार से जुड़े कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी कथाएं आज भी लोगों को हैरान कर देती हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित लंगड़े की चौकी हनुमान मंदिर भी उन्हीं में से एक है, जिसका इतिहास मुगलकाल से जुड़ा बताया जाता है। इस मंदिर की कहानी एक ऐसे रामभक्त चौकीदार की है, जिसकी भक्ति ने मुगल बादशाह को भी सोचने पर मजबूर कर दिया।
स्थानीय मान्यताओं और मंदिर के पुजारी महंत गोपी गुरु के अनुसार, मुगल शासन के समय यहां एक चौकी हुआ करती थी। इस चौकी पर तैनात एक चौकीदार भगवान राम का परम भक्त था और वह अक्सर ड्यूटी छोड़कर जंगल में रामकथा सुनने चला जाता था। जब यह बात कोतवाल के जरिए मुगल बादशाह तक पहुंची तो बादशाह क्रोधित हो गया।
बताया जाता है कि बादशाह ने सजा के तौर पर उस चौकीदार के पैर कटवाने का आदेश दे दिया। इसके बावजूद चौकीदार की भक्ति में कोई कमी नहीं आई और वह रामकथा सुनने जाता रहा। कुछ समय बाद जब मुगल बादशाह स्वयं निरीक्षण के लिए चौकी पर पहुंचा, तो उसने एक चौंकाने वाला दृश्य देखा—चौकीदार एक ही समय में चौकी पर भी मौजूद था और रामकथा में भी।
इस चमत्कार को देखकर बादशाह हैरान रह गया। पूछने पर चौकीदार ने बताया कि उसकी अनुपस्थिति में स्वयं बजरंगबली चौकी की रक्षा कर रहे थे। यह सुनकर मुगल बादशाह को अपनी गलती का एहसास हुआ। कहा जाता है कि इसके बाद उस स्थान को “लंगड़े की चौकी” नाम दिया गया और चौकीदार को जीवनभर हनुमान जी की सेवा करने की अनुमति दे दी गई।
500–600 साल पुराना बताया जाता है मंदिर
मंदिर के पुजारी के अनुसार, इस हनुमान मंदिर का इतिहास करीब 500 से 600 वर्ष पुराना है। मंदिर के ढांचे का कुछ हिस्सा आज भी मुगलकालीन स्थापत्य की झलक देता है, जबकि बाकी का निर्माण समय-समय पर भक्तों के सहयोग से हुआ है।
मनुष्य रूप में विराजमान हैं हनुमानजी
इस मंदिर की एक और खास बात यहां विराजमान हनुमान जी की मूर्ति है। आमतौर पर हनुमान जी को वानर रूप में स्थापित किया जाता है, लेकिन यहां उनकी प्रतिमा मनुष्य रूप में है। मान्यता है कि लंका विजय के बाद श्रीराम जब हनुमान जी को अपने साथ अयोध्या ले गए थे, तब वे इसी रूप में थे। उसी स्वरूप में आज भी यहां बजरंगबली विराजमान हैं।