11 दिसंबर को साल की आखिरी कालाष्टमी: जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और खास उपाय

11 दिसंबर को साल की आखिरी कालाष्टमी: जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और खास उपाय
December 10, 2025 at 9:08 pm

साल 2025 की अंतिम कालाष्टमी 11 दिसंबर को पड़ रही है, और इस विशेष अवसर पर भगवान काल भैरव की पूजा का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। काल भैरव को शिवजी का उग्र रूप कहा गया है, जो भक्तों को भय, नकारात्मक ऊर्जा और जीवन की बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से कालाष्टमी का व्रत और पूजा करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि और आत्मबल बढ़ता है।

कब है 2025 की आखिरी कालाष्टमी?

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को दोपहर 1:57 बजे होगी और यह तिथि 12 दिसंबर की दोपहर 2:56 बजे समाप्त होगी।
इसी आधार पर कालाष्टमी और काल भैरवजयंती 11 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी।

ज्योतिषों का कहना है कि इस दिन की गई पूजा से शनि और राहु के दुष्प्रभाव भी कम होते हैं, और व्यक्ति को हर प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

कालाष्टमी पर ऐसे करें भगवान कालभैरव की पूजा

कालाष्टमी के दिन निम्न विधि से पूजा करने पर विशेष फल प्राप्त होता है—

पूजा विधि:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थल को साफ करके दीपक और फूलों से सजाएँ।
  • भगवान काल भैरव की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें।
  • गंगाजल अर्पित करने के बाद चंदन, रोली, सिंदूर और फूल चढ़ाएँ।
  • काल भैरव के मंत्रों का जाप और स्तुति करें।
  • पूजा के बाद फल, मिठाई या भोजन का भोग लगाएँ और आरती करें।


कालाष्टमी पर कौन-से उपाय बेहद शुभ माने जाते हैं?

  • काले कुत्ते को रोटी खिलाना—यह भगवान काल भैरव को अत्यंत प्रिय माना जाता है।
  • सरसों के तेल का दीपक जलाना—नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
  • मंदिर में जाकर हवन कुंड पर नारियल सात बार उतारकर अर्पित करना—यह उपाय विशेष रूप से बाधाओं को समाप्त करने वाला माना गया है।


मान्यता है कि इन उपायों से व्यक्ति की सभी भय-संकट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।