अयोध्या: प्रभु श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या में देवउठनी एकादशी के अवसर पर भक्ति और श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा है। लाखों श्रद्धालु पंचकोशी परिक्रमा करने पहुंचे हैं। धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक इस परिक्रमा को पूर्ण करते हैं, उन्हें यज्ञ के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक छोटी सी गलती आपकी पूरी परिक्रमा को अधूरा बना सकती है?
पंचकोशी परिक्रमा कब शुरू होगी?
अयोध्या के विद्वान पंडित कल्कि राम के अनुसार, इस वर्ष देवउठनी एकादशी 1 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी। इसी दिन सुबह 4:02 बजे से पंचकोशी परिक्रमा का शुभारंभ होगा, जो 2 नवंबर की सुबह 2:57 बजे तक चलेगी। लगभग 15 किलोमीटर लंबी यह परिक्रमा अयोध्या धाम की एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा मानी जाती है।
यह वही क्षेत्र है जहां भगवान श्रीराम ने अपना बाल्यकाल व्यतीत किया था, इसलिए इस परिक्रमा को अत्यंत पवित्र और फलदायी माना गया है।
परिक्रमा का धार्मिक महत्व
कार्तिक मास में की जाने वाली यह परिक्रमा जीवन से पाप, कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। देवउठनी एकादशी के दिन यह परिक्रमा विशेष फल देती है, क्योंकि यही वह समय होता है जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि संचालन का कार्य पुनः आरंभ करते हैं।
श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान कर प्रभु श्रीराम के जयकारों के साथ आस्था की इस परिक्रमा में शामिल होते हैं। इस दौरान वातावरण “जय श्रीराम” के उद्घोष से गूंज उठता है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
धार्मिक परंपरा के अनुसार, परिक्रमा शुरू करने से पहले सरयू नदी में स्नान करना अनिवार्य है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिक्रमा वहीं पूरी करनी चाहिए, जहां से आपने इसे प्रारंभ किया था — तभी इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है।
अगर यह नियम टूट जाए, तो माना जाता है कि पुण्य अधूरा रह जाता है और परिक्रमा का आध्यात्मिक प्रभाव कम हो जाता है।
प्रशासन की तैयारियां
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
हर साल की तरह इस बार भी लाखों रामभक्त अयोध्या धाम पहुंचकर प्रभु श्रीराम के चरणों में श्रद्धा अर्पित कर रहे हैं और पुण्य प्राप्ति की कामना से पंचकोशी परिक्रमा में शामिल हो रहे हैं।
निष्कर्ष
पंचकोशी परिक्रमा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और आध्यात्मिक शुद्धि का मार्ग है। श्रद्धा और नियमपूर्वक की गई यह परिक्रमा भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करती है।