2025 की रमा एकादशी — तिथि, पारणा समय एवं महत्व

2025 की रमा एकादशी — तिथि, पारणा समय एवं महत्व
October 17, 2025 at 5:23 pm

हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष पवित्र माना जाता है और इस मास की रमा एकादशी (जिसे “रंभा एकादशी” भी कहा जाता है) का स्वरूप भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह एकादशी कृष्‍ण पक्ष की ग्यारवीं तिथि को पड़ती है, और 2025 में यह दिन 17 अक्टूबर को है।  

तिथि एवं पारणा समय

  • एकादशी तिथि आरंभ: 16 अक्टूबर 2025, सुबह 10:35 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2025, सुबह 11:12 बजे
  • पारणा (व्रत खोलने का समय): 18 अक्टूबर 2025, सुबह 6:24 बजे से 8:41 बजे तक
  • द्वादशी का अंत: 18 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:18 बजे

व्रत पारित करने (पारण) का सही समय जानना अत्यंत आवश्यक है ताकि उपवास विधिपूर्वक और प्रभावी रूप से समाप्त किया जाए।

रमा एकादशी का महत्व

  • पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशियाँ आती हैं — कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में।  
  • कार्तिक मास को भगवान विष्णु की भक्ति के लिए सर्वाधिक पुण्य-मास माना जाता है। इस मास में की गई पूजा, उपवास और दान विशेष फलदायी माने जाते हैं।
  • रमा एकादशी से कहा जाता है कि जो व्यक्ति इसे विधिपूर्वक मनाता है, वह पिछले पापों से मुक्ति पाता है और दुःख-दो:खों से छुटकारा मिलता है।
  • ये व्रत इतना शक्तिशाली माना जाता है कि इसे “हजारों अश्वमेध यज्ञ बराबर” कहा गया है, और ब्रह्महत्या के पाप को भी रद्द करने की क्षमता बताई जाती है।
  • इस दिन बड़े दान और उपकार करना अत्यंत शुभ माना जाता है, विशेषकर विष्णु मंदिरों में।

पूजा विधि एवं अनुष्ठान

  1. प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा कक्ष व घर को स्वच्छ करें।
  2. भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और लड्डू गोपाल की मूर्तियों को पंचामृत से अभिषेक करें।
  3. उन्हें तुलसी पत्र, पुष्प, घर का बना प्रसाद, पंचामृत आदि अर्पित करें।
  4. दिनभर “Hare Krishna Maha Mantra” और “Om Namo Bhagavate Vasudevaye” आदि मंत्रों का जप करें।
  5. संध्या समय पुनः दीप करें, विष्णु सहस्रनाम और श्री हरी स्तोत्र आदि पाठ करें।
  6. व्रत का परान फल, दूध और अन्य मिल्क उत्पादों से किया जाना चाहिए।
  7. दान एवं भिक्षा देना भी उत्तम माना जाता है।

मंत्र एवं जप

·  नमो भगवते वासुदेवाय

·  श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव

·  अच्युतं केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं

·  हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे।    हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।

·  राम राम रामेति, रमे रामे मनोरमे।   सहस्रनाम ततुल्यं, राम नाम वरानने।

ये मंत्र जपने से भक्त को आध्यात्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और ईश्वर की अनुकम्पा प्राप्त होती है।