PDA साइकिल यात्रा: अखिलेश का बड़ा चुनावी दांव, मायावती की सोशल इंजीनियरिंग और योगी के हिंदुत्व कार्ड पर वार

PDA साइकिल यात्रा: अखिलेश का बड़ा चुनावी दांव, मायावती की सोशल इंजीनियरिंग और योगी के हिंदुत्व कार्ड पर वार
October 27, 2025 at 5:10 pm

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत एक बार फिर गर्माने लगी है। अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग (PDA) को साधने के लिए ‘PDA साइकिल यात्रा’ शुरू करने की तैयारी की है। यह यात्रा नवंबर के दूसरे हफ्ते से शुरू होगी। अखिलेश यादव इस यात्रा के जरिए न सिर्फ जनसंपर्क बढ़ाना चाहते हैं बल्कि बसपा सुप्रीमो मायावती और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीतियों का तोड़ भी ढूंढ रहे हैं।

मायावती की सोशल इंजीनियरिंग से सपा में बढ़ी बेचैनी

हाल ही में मायावती ने अपनी लखनऊ रैली के जरिए नई ‘सोशल इंजीनियरिंग’ रणनीति पेश की है, जिसमें उन्होंने दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़ी जातियों को भी साधने की कोशिश की। उनके इस फॉर्मूले ने सपा खेमे में हलचल मचा दी है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व कार्ड को मजबूती से खेल रहे हैं और भाजपा अपनी परंपरागत वोट बैंक को एकजुट बनाए रखने की कोशिश में है।
इन दोनों के बीच अब अखिलेश यादव ‘PDA फार्मूला’ के जरिए जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्ता की वापसी की जा सके।

क्या है ‘PDA साइकिल यात्राका प्लान

‘PDA पंचायत’ और ‘PDA पाठशाला’ के बाद समाजवादी पार्टी अब ‘PDA साइकिल यात्रा’ निकालने जा रही है।
इस अभियान के तहत सपा कार्यकर्ता गांव-गांव जाएंगे, जनता से संवाद करेंगे और पार्टी की नीतियों को घर-घर तक पहुंचाएंगे।
इस दौरान वे ग्रामीणों की समस्याएं सुनेंगे और सपा के नजरिए से उनके समाधान की बात करेंगे।
पार्टी का मानना है कि यह यात्रा भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ माहौल बनाने और जनता के बीच सीधा जुड़ाव बढ़ाने का काम करेगी।

सपा प्रवक्ता ने क्या कहा

सपा प्रवक्ता डॉ. अनुराग भदौरिया ने बताया कि पार्टी लगातार अपने संगठन को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
उन्होंने कहा, “PDA साइकिल यात्रा के जरिए हम कार्यकर्ताओं में जोश और एकता लाना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी सामाजिक न्याय और जनहित की बात करती है, और यही संदेश हम जनता तक पहुंचाएंगे।”
भदौरिया के मुताबिक, सपा अपने कार्यकर्ताओं को लगातार राजनीतिक रूप से सक्रिय रखकर उन्हें नए लक्ष्य देती रहती है, ताकि 2027 के चुनाव के लिए तैयारियां मजबूत रहें।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी का नारा और एजेंडा ‘PDA’ के इर्द-गिर्द ही रहेगा।

एक्सपर्ट्स की राय

वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन गर्गवाल का कहना है कि सपा को अच्छी तरह समझ आ गया है कि भाजपा से मुकाबला जातीय समीकरणों के बिना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा, “समाजवादी पार्टी लगातार जाति आधारित राजनीति के पिच पर खेल रही है। अगर उसे भाजपा को चुनौती देनी है तो उसे उसी सामाजिक आधार को मजबूत करना होगा, जो कभी उसकी असली ताकत हुआ करता था।”

निष्कर्ष

यूपी की सियासत में इस वक्त तीनों बड़े खिलाड़ियों—मायावती, योगी और अखिलेश—की रणनीतियां खुलकर सामने हैं।
एक तरफ मायावती अपनी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए दलितों को फिर से जोड़ने में लगी हैं,
वहीं योगी हिंदुत्व की राजनीति पर टिके हैं।
अखिलेश यादव अब PDA फार्मूले के सहारे 2027 की सत्ता की जंग जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि ‘साइकिल यात्रा’ का यह दांव सपा के लिए कितना कारगर साबित होता है।