ना नसों में ब्लॉकेज, ना सांस फूलने की समस्या, अर्जुन की छाल का काढ़ा दिल को रखे मजबूत, जानिए डॉक्टर की राय

ना नसों में ब्लॉकेज, ना सांस फूलने की समस्या, अर्जुन की छाल का काढ़ा दिल को रखे मजबूत, जानिए डॉक्टर की राय
December 15, 2025 at 7:15 pm

आज के समय में युवाओं में हार्ट अटैक और दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खराब खानपान, तनाव और अनियमित लाइफस्टाइल के कारण कम उम्र में ही हृदय रोग का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में आयुर्वेद में मौजूद प्राकृतिक उपाय लोगों के लिए राहत का विकल्प बनकर सामने आ रहे हैं।

अर्जुन के पेड़ की छाल दिल की सेहत के लिए बेहद लाभकारी मानी जाती है। आयुर्वेद में अर्जुन की छाल को एक प्राकृतिक हार्ट टॉनिक माना गया है, जो हृदय को मजबूत करने में मदद करता है।

अर्जुन की छाल का काढ़ा नियमित रूप से लेने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है और गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। इससे नसों में ब्लॉकेज बनने की संभावना कम हो सकती है और हार्ट अटैक का जोखिम घटता है। कई हृदय रोगियों में सांस फूलना और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं देखी जाती हैं, जिनमें अर्जुन की छाल का सही उपयोग फायदेमंद हो सकता है।

हालांकि, इसके सेवन में सावधानी भी जरूरी है। हर व्यक्ति की शरीर प्रकृति अलग होती है। कुछ लोगों को अर्जुन की छाल सूट नहीं करती, ऐसे में इसका रोजाना सेवन नहीं करना चाहिए और बीच-बीच में गैप लेना बेहतर होता है। जिन लोगों को काढ़ा पीने में परेशानी होती है, वे इसे चाय की तरह उबालकर भी ले सकते हैं।

अर्जुन की छाल सिर्फ दिल के लिए ही नहीं, बल्कि सर्दी-जुकाम, फ्लू, वायरल संक्रमण और गले की खराश जैसी समस्याओं में भी लाभकारी मानी जाती है। इसमें मौजूद प्राकृतिक गुण शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं।

ऐसे करें अर्जुन की छाल का सेवन

  • अर्जुन की छाल को रातभर पानी में भिगो दें
  • सुबह डेढ़ इंच छाल के टुकड़े के साथ थोड़ी दालचीनी मिलाकर उबालें
  • छानकर गुनगुना सेवन करें

विशेषज्ञों के अनुसार नवंबर, दिसंबर और जनवरी में इसका सेवन करने से पूरे साल शरीर पर इसका सकारात्मक असर बना रहता है। उम्र के हिसाब से इसकी मात्रा तय की जाती है। 20 से 30 वर्ष के लोगों को 5 से 7 ग्राम और 40 से 50 वर्ष के लोगों को 10 ग्राम तक लेने की सलाह दी जाती है।

हालांकि, अर्जुन की छाल एक प्राकृतिक उपाय है, लेकिन इसका सेवन शुरू करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।