पिछले पाँच वर्षों में देश में 2 लाख से अधिक प्राइवेट कंपनियां बंद हुई हैं। लोकसभा में पेश किए गए इस चौंकाने वाले आंकड़े ने कॉर्पोरेट सेक्टर और रोजगार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन कंपनियों में काम कर रहे कर्मचारियों का क्या हुआ? क्या सरकार उनके पुनर्वास या रोजगार के लिए कोई योजना चला रही है?
लोकसभा में सरकार ने बताई संख्या
कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने लोकसभा में लिखित जवाब में बताया कि कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पिछले 5 साल में कुल 2,04,268 प्राइवेट कंपनियां बंद हो चुकी हैं।
सबसे ज्यादा कंपनियां वित्त वर्ष 2022–23 में 83,452 बंद हुईं।
कंपनियों के बंद होने के प्रमुख कारण
सरकार ने बताया कि कंपनियों के बंद होने के पीछे कई कारण रहे, जिनमें शामिल हैं—
सरकार ने 2021–22 से जुलाई 2025 तक 1,85,350 कंपनियों को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाया, जिनमें से कई ने स्वयं स्ट्राइक-ऑफ का आवेदन किया था।
किस साल कितनी कंपनियां बंद हुईं?
| वित्त वर्ष | बंद हुई कंपनियां |
| 2024–25 | 20,365 |
| 2023–24 | 21,181 |
| 2022–23 | 83,452 |
| 2021–22 | 64,054 |
| 2020–21 | 15,216 |
इन आंकड़ों से साफ है कि पिछले कुछ वर्षों में कंपनियों के बंद होने की रफ्तार तेज हुई है।
कर्मचारियों के लिए क्या कोई योजना?
सबसे अहम सवाल यही है कि इन बंद हुई कंपनियों के कर्मचारियों को नई नौकरी देने या उन्हें किसी सरकारी स्कीम से जोड़ने के लिए क्या कोई योजना है?
इस पर राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार के पास कर्मचारियों को पुनः रोजगार देने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है।
इसका सीधा मतलब यह है कि हजारों–लाखों कर्मचारियों की नौकरी पर इसका बड़ा असर पड़ा है, लेकिन उनके लिए कोई विशेष राहत योजना फिलहाल नहीं बनाई गई है।