कोटा की प्रतिभाशाली बेटी प्रियंका सेन ने दुनिया की सबसे बड़ी क्रूज़ शिप Harmony of the Seas पर पहली भारतीय महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बनकर इतिहास रच दिया है। Royal Caribbean International की इस प्रतिष्ठित शिप पर उनका चयन न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है।
मध्यमवर्गीय परिवार में पली-बढ़ीं प्रियंका के पिता PWD विभाग से सेवानिवृत्त हैं और मां गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद प्रियंका बचपन से ही तकनीकी क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देखती थीं। गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर में पढ़ाई के दौरान वे NCC से जुड़ीं और यहीं से उन्होंने नेवी और मर्चेंट नेवी में जाने का लक्ष्य तय किया।
लेकिन यह सफर आसान नहीं था। फीस जमा कराने के बाद कॉलेज प्रशासन ने गलती से उन्हें लड़का समझकर बाहर कर दिया। बाद में ETO कोर्स में आवेदन करते समय उन्हें कई बार रिजेक्शन झेलना पड़ा। सामाजिक दबाव, शारीरिक मानकों और संस्थागत बाधाओं ने भी रास्ता रोका, लेकिन प्रियंका और उनके परिवार ने कभी हार नहीं मानी।
ETO कोर्स के बाद दो साल लंबा संघर्ष
कोर्स पूरा करने के बाद प्रियंका ने पुणे में एक सस्ते कमरे में रहकर लगातार दो साल तक रोज़ मुंबई जाकर कंपनियों में अपना रिज़्यूमे जमा किया। कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प का नतीजा यह हुआ कि Anglo Eastern Shipping ने उन पर भरोसा जताया और वे कंपनी की पहली भारतीय महिला ETO बनीं।
करीब 7–8 महीने की निरंतर कोशिशों के बाद Royal Caribbean International ने उन्हें Harmony of the Seas के टेक्निकल विभाग में इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में चुन लिया—जहां 7,500 से भी अधिक यात्री और क्रू सदस्य यात्रा करते हैं।
प्रियंका बताती हैं कि कई विदेशी क्रू मेंबर्स पहली बार किसी महिला को टेक्निकल डिपार्टमेंट में देखकर हैरान रह जाते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने अपने सपनों को प्रियंका में साकार होते देखा है।
हर भारतीय बेटी के लिए प्रेरणा
प्रियंका सेन की ये उपलब्धि सिर्फ़ एक करियर सफलता नहीं, बल्कि इस बात का प्रमाण है कि संकल्प के आगे न सामाजिक बंधन टिकते हैं, न संसाधनों की कमी और न ही कोई संस्थागत नियम। उन्होंने दिखा दिया कि भारतीय बेटियां समंदर जैसी विशाल चुनौतियों को भी जीत सकती हैं।