Ayurved Divas 2025: अब धनतेरस को नहीं, इस साल से 23 सितंबर को मनाया जायेगा ‘आयुर्वेद दिवस’, सरकार ने की घोषणा; जानें महत्व और थीम।

Ayurved Divas 2025: अब धनतेरस को नहीं, इस साल से 23 सितंबर को मनाया जायेगा ‘आयुर्वेद दिवस’, सरकार ने की घोषणा; जानें महत्व और थीम।
September 23, 2025 at 11:27 am

आयुर्वेद दिवस 2025 : भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद आज पूरी दुनिया में स्वास्थ्य और जीवनशैली का मार्गदर्शन कर रही है। आयुर्वेद केवल इलाज की पद्धति नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है, जिसमें आहार, विहार, योग, ध्यान और प्राकृतिक चिकित्सा शामिल है। इसी धरोहर को संजोने और लोगों तक पहुँचाने के लिए हर साल आयुर्वेद दिवस (Ayurveda Day) मनाया जाता है।

कब मनाया जाएगा आयुर्वेद दिवस 2025?

सरकार ने मार्च 2025 में एक अधिसूचना जारी कर यह स्पष्ट कर दिया कि अब हर साल 23 सितंबर को ही आयुर्वेद दिवस मनाया जाएगा। पहले यह दिन धनतेरस पर आयुर्वेदाचार्य भगवान धन्वंतरि जयंती के अवसर पर मनाया जाता था, लेकिन अब इसे निश्चित तिथि मिल गई है।
इस साल आयुर्वेद दिवस 23 सितंबर 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा।

आयुर्वेद दिवस 2025 की थीम

इस बार आयुर्वेद दिवस की थीम है – “Ayurveda for People & Planet” (लोगों और पृथ्वी के लिए आयुर्वेद)।
इसका उद्देश्य है लोगों को यह संदेश देना कि आयुर्वेद केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण, प्रकृति और समाज के सतत भविष्य के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम और आयोजन

आयुष मंत्रालय और विभिन्न आयुर्वेदिक संस्थानों की ओर से देशभर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • हेल्थ कैंप और वेलनेस प्रोग्राम
  • योग और प्राणायाम सत्र
  • आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ीबूटियों पर वर्कशॉप और सेमिनार
  • राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 का वितरण, जिसमें आयुर्वेद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले विशेषज्ञों को सम्मानित किया जाएगा।
  • स्कूल-कॉलेजों में जन-जागरूकता अभियान और डिजिटल माध्यम से आयुर्वेद को बढ़ावा देने की पहल।


आधुनिक समय में आयुर्वेद का महत्व

आज की तेज़-तर्रार जीवनशैली में लोग तनाव, मोटापा, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। आयुर्वेद हमें इन बीमारियों से बचाव और रोकथाम के साथ-साथ प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ जीवन जीने की राह दिखाता है।

  • यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर ज़ोर देता है।
  • प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनी औषधियों के दुष्प्रभाव कम होते हैं।
  • यह न केवल उपचार पर बल्कि रोगों की रोकथाम और प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने पर ध्यान देता है।


चुनौतियाँ और संभावनाएँ

हालाँकि आयुर्वेद को आधुनिक विज्ञान और शोध से और जोड़ने की आवश्यकता है। औषधियों की गुणवत्ता और उपलब्धता सुनिश्चित करना, तथा जागरूकता बढ़ाना भी एक बड़ी चुनौती है। सरकार और विशेषज्ञ मिलकर इसे और प्रभावी बना रहे हैं।

निष्कर्ष

आयुर्वेद दिवस 2025 न केवल हमारी प्राचीन परंपरा को सम्मान देने का अवसर है बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमारा स्वास्थ्य और हमारी धरती दोनों ही हमारी ज़िम्मेदारी हैं। यदि हम आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या में अपनाएँ, तो यह न केवल हमें बल्कि पूरी दुनिया को स्वस्थ और संतुलित जीवन प्रदान कर सकता है।