उत्तर बिहार के मोतिहारी, रक्सौल और आसपास के सीमावर्ती इलाकों में बीते छह महीनों में लड़कियों के रहस्यमय तरीके से गायब होने की घटनाओं ने सनसनी फैला दी है। ज्यादातर 18 से 25 साल की युवतियां सोशल मीडिया के लवट्रैप, फर्जीनौकरी और विदेशोंमेंकमाई के लालच में नेपाल बॉर्डर पार कर रही हैं—इसके बाद उनका कोई सुराग नहीं मिलता। मामला अब इतना गंभीर हो चुका है कि सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
मानव तस्करी का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क सक्रिय
मानवाधिकार अधिवक्ता एस के झा के अनुसार भारत–नेपाल सीमा से सटे इलाकों में मानव तस्करों का एक संगठित नेटवर्क काम कर रहा है। शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि गायब लड़कियों को बिहार के अलग-अलग हिस्सों के अलावा नेपाल, चीन, ब्राज़ील और सऊदी अरब जैसे देशों में बेचने तक की आशंका है।
झा ने सुप्रीम कोर्ट से विशेष जांच दल (SIT) बनाकर इस पूरे नेटवर्क को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ट्रैक करने की मांग की है।
परिवारों में डर, प्रशासन पर सवाल
सीमावर्ती गांवों में रहने वाले परिवारों में भारी भय का माहौल है। माता-पिता बेटियों को घर से दूर भेजने में हिचक रहे हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सीमा क्षेत्रों में निगरानी कमजोर होने और पुलिस की सुस्ती से तस्करों के हौसले और बढ़ गए हैं।
छह महीनों में 100 से ज्यादा लड़कियां गायब
जुलाई से नवंबर के बीच
कुल मिलाकर 100 से ज्यादा लड़कियां संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हुईं। कुछ विवाहित महिलाएं भी इन मामलों में शामिल हैं।
तस्कर सोशल मीडिया पर पहले दोस्ती करते हैं, फिर प्रेम संबंध या नौकरी का झांसा देकर नेपाल ले जाते हैं। उसके बाद कई लड़कियों को जबरन शादी, रेड-लाइट एरिया, या विदेशों में बेचने के लिए मजबूर किया जाता है। कुछ को ड्रग तस्करी में भी इस्तेमाल किए जाने की आशंका है।
NHRC और महिला आयोग भी सक्रिय
इन गंभीर घटनाओं पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे दिया है। वहीं राष्ट्रीय और राज्य महिला आयोग से भी पीड़ित परिवारों को सुरक्षा और बचाई गई लड़कियों के पुनर्वास की सिफारिश की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में SIT तैनाती की मांग
अधिवक्ता एसके झा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो यह अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और खतरनाक रूप ले सकता है।
सीमा सुरक्षा मजबूत करने, एजेंसियों के सामंजस्य और तस्करी पीड़ितों की सुरक्षित वापसी पर भी जोर दिया गया है।