बिहार की सियासत में नेताओं के आवास बदलना सिर्फ पता बदलना नहीं होता, यह सत्ता और प्रभाव के बदलते समीकरणों का संकेत होता है। अब यही संकेत राबड़ी देवी के सरकारी आवास को लेकर सामने आया है। लगभग दो दशक से 10 सर्कुलर रोड स्थित जिस बंगले में राबड़ी देवी रह रही थीं, उसे खाली करने का आदेश जारी हो गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस फैसले का कारण मौजूदा नीतीश सरकार नहीं, बल्कि तेजस्वी यादव द्वारा आठ साल पहले दाखिल की गई वह याचिका है जिसने नियम ही बदल दिए थे।
10 सर्कुलर रोड क्यों खाली करना होगा?
भवन निर्माण विभाग ने आदेश जारी किया है कि राबड़ी देवी अब 10 सर्कुलर रोड का बंगला नहीं रख सकतीं। उन्हें विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते हार्डिंग रोड स्थित केंद्रीय पूल आवास—बंगला नंबर 39 दिया जा रहा है।
वे 16 जनवरी 2006 से अपने वर्तमान आवास में रह रही थीं, जिसे उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते आवंटित किया गया था।
सत्ता परिवर्तन नहीं… अदालत का पुराना फैसला बना वजह
राजद समर्थकों में इसे सत्ता बदलाव का असर बताया जा रहा है, लेकिन असली कारण पटना हाईकोर्ट का 2019 का फैसला है। विडंबना यह है कि इस फैसले को शुरू करने वाले तेजस्वी यादव ही थे।
तेजस्वी यादव की 2017 की याचिका
2017 में तेजस्वी उपमुख्यमंत्री थे और 5 देशरत्न मार्ग में रहते थे। नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ लेते ही तेजस्वी को बंगला खाली करने को कहा।
इस पर तेजस्वी हाईकोर्ट पहुंचे और दावा किया कि—
“पूर्व मुख्यमंत्रियों और उच्च पदाधिकारियों के सरकारी आवासों का स्पष्ट नियम बनना चाहिए।”
हाईकोर्ट की जांच में बड़ा खुलासा
अदालत ने भवन निर्माण विभाग से रिपोर्ट मांगी। दस्तावेजों से पता चला कि—
अदालत इससे सहमत नहीं हुई।
2019 का हाईकोर्ट फैसला जिसने सब बदल दिया
19 फरवरी 2019 को पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया:
इसी आदेश का असर अब राबड़ी देवी पर भी दिख रहा है।
अब राबड़ी और तेजस्वी—दोनों का पता बदलेगा
राजनीति की विडंबना
बिहार की राजनीति में निर्णय अक्सर सत्ता के अनुसार बदलते हैं, लेकिन इस बार कहानी अलग है।
यह न तो बदले की कार्रवाई है, न सत्ता परिवर्तन का असर—
बल्कि एक न्यायिक सुधार का परिणाम है जिसे तेजस्वी यादव ने खुद आगे बढ़ाया था।
राजनीति में फैसले भले समय के हिसाब से लिए जाते हों,
लेकिन उनका असर कई बार सालों बाद भी सामने आता है—और कभी–कभी अपने ही दरवाजे पर दस्तक देता है।