बैंक कर्मियों की मिली भगत से 33 लाख की साइबर ठगी का खुलासा, डमी डायरेक्टर और शेल कंपनियों का जाल, 2 मास्टर माइंड गिरफ्तार

बैंक कर्मियों की मिली भगत से 33 लाख की साइबर ठगी का खुलासा, डमी डायरेक्टर और शेल कंपनियों का जाल, 2 मास्टर माइंड गिरफ्तार
December 15, 2025 at 7:15 pm

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच साइबर सेल ने ऑनलाइन निवेश ठगी और साइबर हवाला से जुड़े एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई 61 वर्षीय एक सीनियर सिटीजन से 33 लाख 10 हजार रुपये की ठगी की शिकायत के बाद शुरू हुई जांच के दौरान सामने आई। मामले में पुलिस ने दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जो बैंक कर्मियों की मिलीभगत से फर्जी कंपनियां और शेल अकाउंट्स खड़े कर ठगी की रकम को हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए इधर-उधर भेजते थे।

जांच में सामने आया कि ठगों ने BELCREST INDIA Pvt. Ltd. नाम की एक फर्जी कंपनी के बैंक खातों का इस्तेमाल किया, जिनमें पीड़ित के 10.68 लाख रुपये ट्रांसफर कराए गए। आरोपियों ने डमी डायरेक्टर, फर्जी दस्तावेज और मल्टी-लेयर ट्रांजैक्शन के जरिए पैसों को सफेद करने का नेटवर्क खड़ा कर रखा था।

टेक्निकल और फाइनेंशियल ट्रेल के आधार पर साइबर सेल ने मुख्य आरोपी दीपांशु को उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित मोहनलालगंज इलाके से आधी रात को गिरफ्तार किया। उसके पास से दो मोबाइल फोन, तीन चेकबुक और दो डेबिट कार्ड बरामद किए गए हैं। पूछताछ में दीपांशु ने स्वीकार किया कि वह बैंक कर्मचारियों की मदद से फर्जी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराता था और ठगी की रकम को कई खातों के जरिए आगे ट्रांसफर करता था। सबूत मिटाने के लिए उसने सिम कार्ड और चेकबुक नष्ट करने की भी कोशिश की।

दूसरा आरोपी भी गिरफ्तार

इसी दौरान साइबर सेल को सूचना मिली कि NDPS एक्ट के तहत वांटेड आरोपी ऋषभ सिंह लखनऊ में छिपा हुआ है। करीब 24 घंटे की लगातार निगरानी के बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को एक साथ गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि ऋषभ सिंह ने दीपांशु को फरारी के दौरान पनाह दी थी। यह नेटवर्क दिल्ली, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में फैले बैंक खातों से जुड़ा हुआ है।

क्राइम ब्रांच के डीसीपी (साइबर) आदित्य गौतम ने बताया कि यह सिंडिकेट फर्जी निवेश ऐप और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को झांसे में लेता था। उन्होंने कहा कि बैंक अधिकारियों की भूमिका बेहद गंभीर है और उनकी संलिप्तता की भी गहन जांच की जा रही है।

पीड़ित बुजुर्ग ने पुलिस को बताया कि उन्हें एक फर्जी इन्वेस्टमेंट ऐप के जरिए ज्यादा मुनाफे का लालच दिया गया था। फिलहाल दोनों आरोपी पुलिस रिमांड पर हैं और जांच में और बड़े खुलासों की संभावना जताई जा रही है। पुलिस का दावा है कि ठगी की रकम को ट्रेस किया जा रहा है, जिससे पीड़ितों को राहत मिल सकती है।