नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने टाइप-2 डायबिटीज के उपचार में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है। एम्स के सर्जन्स ने मेटाबॉलिक सर्जरी के माध्यम से 30 ऐसे मरीजों को पूरी तरह ठीक कर दिया है, जिनकी डायबिटीज दवा, डाइट और लाइफस्टाइल बदलने के बावजूद भी नियंत्रण में नहीं आ रही थी।
एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मंजुनाथ ने बताया कि इन सभी मरीजों का HbA1c अब सामान्य स्तर पर है और उनकी शुगर की बीमारी पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। यह सर्जरी दुनिया भर में डायबिटीज के इलाज को लेकर नई उम्मीद जगा रही है।
कैसे काम करती है मेटाबॉलिक सर्जरी?
डॉक्टरों के मुताबिक, यह सर्जरी अग्न्याशय (Pancreas) पर नहीं बल्कि पेट और आंतों पर की जाती है। इसमें पेट का आकार छोटा कर सिलेंडर शेप में लाया जाता है तथा छोटी आंत को सीधे पेट से जोड़ दिया जाता है ताकि खाना डुओडेनम को बाइपास करके आंत में पहुंचे।
इस प्रक्रिया से GLP-1 जैसे हार्मोन तेजी से रिलीज होते हैं, जो इंसुलिन उत्पादन में मदद करते हैं और ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, ट्राइग्लिसराइड्स और प्रोटीन यूरिया को सामान्य बनाए रखते हैं।
सर्जरी से अनकंट्रोल्ड डायबिटीज में चमत्कारी सुधार
एम्स में पिछले सवा साल में 120 मरीजों की सर्जरी की गई, जिनमें से 30 प्रतिशत मरीज अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित थे।
ऐसे ही एक मरीज, जो सांसद हैं—उनका BMI 27, HbA1c 11.7, फास्टिंग शुगर 300+ और पोस्ट-प्रांडियल 390 था। सर्जरी के बाद पांच महीने में उनकी शुगर बिल्कुल सामान्य स्तर पर आ गई और डायबिटीज खत्म हो गई।
किन मरीजों के लिए यह सर्जरी जरूरी?
डॉ. मंजुनाथ के अनुसार, हर डायबिटीज मरीज को सर्जरी की जरूरत नहीं होती। यह उपचार उन मरीजों के लिए है—
लेकिन
जिन मरीजों को 25 साल से डायबिटीज है और इंसुलिन सेल्स लगभग खत्म हो चुके हैं, उनके लिए यह सर्जरी प्रभावी नहीं होती।
ग्लोबल गाइड लाइंस भी कर चुकी हैं मान्यता
2016 की ग्लोबल डायबिटीज गाइडलाइंस में भी स्वीकार किया गया है कि मेटाबॉलिक सर्जरी न सिर्फ मोटापा घटाती है, बल्कि टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में भी बेहदप्रभावी है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन ने भी इस सर्जरी को अनकंट्रोल्ड डायबिटीज के इलाज के रूप में मान्यता प्रदान की है।