बालाघाट में 35 सालों से जारी नक्सलवाद अब लगभग अपने अंत की ओर है। 6 दिसंबर की रात एमएमसी जोन के KB डिवीजन के कुल 11 नक्सलियों ने सरेंडर किया, जिनमें 77 लाख रुपए का इनामी और मोस्ट वांटेड नक्सली कबीर भी शामिल है। सरेंडर की प्रक्रिया एक फॉरेस्ट गार्ड की मदद से शुरू हुई, जिसने नक्सलियों को हॉक फोर्स तक पहुंचाया।
कैसे हुआ सरेंडर?
सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने पहले एक फॉरेस्ट गार्ड से संपर्क किया और फिर हॉक फोर्स को संदेश भेजा। रात करीब 11 बजे वे बालाघाट रेंज IG के बंगले पहुंचे और आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस अब सभी नक्सलियों की पूछताछ और डॉक्यूमेंटेशन कर रही है।
सरेंडर करने वालों में 4 महिला और 6 पुरुष नक्सली शामिल हैं। प्रमुख नामों में शामिल—
कबीर छत्तीसगढ़ के सुकमा का रहने वाला था और तीन राज्यों में मोस्ट वांटेड था।
CM मोहन यादव के सामने होगा ऐतिहासिक सरेंडर
7 दिसंबर को आयोजित विशेष समारोह में सभी नक्सली CM मोहन यादव को अपने हथियार सौंपेंगे और मुख्यधारा में लौटने की घोषणा करेंगे।
पूरी पुलिस फोर्स इन तैयारियों में जुटी है और SP आदित्य मिश्रा खुद मॉनिटर कर रहे हैं।
सुनीता से शुरू हुई प्रक्रिया, कबीर पर लगी अंतिम मुहर
नई समर्पण नीति लागू होने के बाद 1 नवंबर को सुनीता ओयाम के आत्मसमर्पण से शुरुआत हुई थी। इसके बाद—
एक महीने में दो दर्जन से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है।
आँकड़े बताते हैं—नक्सल वाद का अंत करीब
साल 2024 में सुरक्षा बलों ने बालाघाट में 2350 से ज्यादा एंटी-नक्सल ऑपरेशन चलाए।
परिणाम—
अब भी जारी है रामधेर की तलाश
माओवादी सेंट्रल कमेटी सदस्य रामधेर की तलाश अभी भी जारी है। माना जा रहा है कि उसके साथ करीब एक दर्जन नक्सली और सक्रिय हैं।
छत्तीसगढ़ सीमा से लगे लांजी क्षेत्र में 6 दिसंबर को पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ भी हुई थी। इसके कुछ घंटे बाद ही यह सामूहिक आत्मसमर्पण सामने आया।