मध्य प्रदेश के सागर जिले में सागर–दमोह स्टेट हाईवे का 35 किलोमीटर का हिस्सा लोगों के लिए डर और दहशत का दूसरा नाम बन चुका है। चना टोरिया से लेकर गढ़ाकोटा तक का यह मार्ग अब स्थानीय लोगों की जुबान पर ‘मौत का हाईवे’ कहलाने लगा है। वजह साफ है—पिछले दो वर्षों में इसी छोटे से हिस्से में 40 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
सागर जिले से दो नेशनल हाईवे और चार स्टेट हाईवे गुजरते हैं, जिससे यहां चौबीसों दिशाओं में सड़कों का जाल फैला हुआ है। दोपहिया वाहन, कारें और भारी ट्रक तेज रफ्तार में दौड़ते हैं। इसी रफ्तार और लापरवाही की कीमत हर साल सैकड़ों लोग अपनी जान देकर चुका रहे हैं।
सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है सागर–दमोह स्टेट हाईवे का चना टोरिया से गढ़ाकोटा तक का हिस्सा। यहां कई ऐसे हादसे हुए हैं, जिन्होंने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। बम्होरी गांव के पास टोल टैक्स के नजदीक ट्रक और फोर व्हीलर की आमने-सामने की टक्कर में पांच दोस्तों की मौके पर ही मौत हो गई थी। हादसे की वजह तेज रफ्तार और अचानक वाहन का अनियंत्रित होना बताई गई।
इसी तरह जटाशंकर घाटी, सनोदा के पास तेज रफ्तार ट्रक ने एक कार को कुचल दिया, जिसमें जैन परिवार के पांच सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई। यहां घाटी वाला रास्ता और ड्राइवर की लापरवाही हादसे का कारण बनी। अमोदा में अंधे मोड़ पर बस और बाइक की टक्कर में मां-बेटे की जान चली गई, जबकि गढ़ाकोटा क्षेत्र में ट्रक की टक्कर से जीजा-साले की मौत हो चुकी है।
बिंदी तिराहा इस सड़क का सबसे खतरनाक ब्लैक स्पॉट माना जाता है, जहां अलग-अलग समय पर हुए हादसों में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे 35 किलोमीटर के दायरे में ऐसे 5 बड़े ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जहां तेज रफ्तार और सीमित विजिबिलिटी हादसों की बड़ी वजह बनती है।
आंकड़े भी हालात की गंभीरता बयां करते हैं। सागर जिले में पिछले तीन वर्षों में 3200 से अधिक सड़क हादसे दर्ज किए गए हैं। साल 2025 के 11 महीनों में ही करीब 1000 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 382 लोगों की मौत हो चुकी है।
ये आंकड़े साफ चेतावनी हैं कि अगर सड़कों पर सतर्कता नहीं बरती गई, तो यह मौतों का सिलसिला और बढ़ेगा। खासकर दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट, सीमित गति और सावधानी के साथ वाहन चलाने की सख्त जरूरत है, वरना एक छोटी सी चूक पूरे परिवार को उजाड़ सकती है।