छात्रा से सहमति से बना रिश्ता यौन उत्पीड़न नहीं, 19 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लेक्चरर की बर्खास्तगी रद्द की

छात्रा से सहमति से बना रिश्ता यौन उत्पीड़न नहीं, 19 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लेक्चरर की बर्खास्तगी रद्द की
December 27, 2025 at 1:09 pm

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि किसी शिक्षक का अपनी छात्रा के साथ सहमति से बना संबंध नैतिक रूप से गलत आचरण हो सकता है, लेकिन इसे यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। इसी आधार पर कोर्ट ने 19 साल पहले बर्खास्त किए गए एक लेक्चरर की सेवा समाप्ति को रद्द कर दिया।

यह मामला मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान प्रयागराज से जुड़ा है। 16 दिसंबर को दिए गए आदेश में जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा कि शिक्षकों से उच्च नैतिक आचरण की अपेक्षा की जाती है, लेकिन इस मामले में वर्ष 2006 में दी गई बर्खास्तगी की सजा अत्यधिक और असंगत थी।

क्या था पूरा मामला

संबंधित लेक्चरर की नियुक्ति वर्ष 1999 में कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग में हुई थी। वर्ष 2003 में संस्थान की एक पूर्व छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने भावनात्मक और शारीरिक उत्पीड़न तथा जबरदस्ती संबंध बनाने के आरोप लगाए थे। हालांकि यह शिकायत तीन साल बाद तब दर्ज हुई, जब लेक्चरर की सगाई किसी अन्य महिला से हो चुकी थी।

संस्थान ने पहले पांच सदस्यीय समिति गठित की, लेकिन समिति ने गंभीर आरोपों पर निर्णय देने से इनकार कर दिया। इसके बाद एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की एकल जांच समिति बनाई गई। जांच के दौरान लेक्चरर ने छात्रा के साथ संबंध होने की बात स्वीकार की, लेकिन दावा किया कि रिश्ता पूरी तरह सहमति से था और छात्रा के संस्थान छोड़ने के बाद भी जारी रहा।

जांच रिपोर्ट के आधार पर 28 फरवरी 2006 को संस्थान ने लेक्चरर को सेवा से बर्खास्त कर दिया।

हाईकोर्ट का रुख

लेक्चरर ने बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया। उन्होंने दलील दी कि जांच प्रक्रिया में उन्हें गवाहों से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड से यह मामला सहमति से बने रिश्ते का प्रतीत होता है। इस मामले में कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ और शिकायत भी तब सामने आई जब दोनों के बीच विवाह की संभावना समाप्त हो चुकी थी।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि शिक्षक और छात्रा के बीच ऐसा रिश्ता अनुचित और गलत आचरण हो सकता है, लेकिन इसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। इसी आधार पर कोर्ट ने 19 साल पुरानी बर्खास्तगी को रद्द कर दिया।