लखनऊ में साइबर ठगों द्वारा एक 75 वर्षीय बुजुर्ग को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में फंसाकर 27 लाख रुपये हड़पने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जानकीपुरम इलाके में रहने वाले रामशंकर त्रिवेदी नाम के बुजुर्ग को ठगों ने खुद को एटीएस और एनआईए अधिकारी बताकर पांच दिनों तक मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा।
घटना 7 नवंबर की दोपहर की है, जब त्रिवेदी के फोन पर व्हाट्सएप कॉल आई। कॉलर ने कठोर आवाज में खुद को एंटी टेररिस्ट स्क्वाड का अधिकारी बताया और आरोप लगाया कि बुजुर्ग ने पहलगाम टेरर अटैक में आतंकियों को 70 करोड़ रुपये की मदद की है, जिसमें से 70 लाख रुपये कमीशन के रूप में उनके बैंक खाते में आए हैं।
त्रिवेदी द्वारा आरोपों से इनकार करने पर ठगों ने वीडियो कॉल की, जिसमें एक युवक वर्दी पहने दिखाई दिया और उसने स्वयं को एनआईए अधिकारी बताया। बुजुर्ग को धमकाते हुए कहा गया कि उन्हें आतंकी फंडिंग मामले में संदेह के घेरे में रखा गया है और उनके बैंक खातों की तत्काल जांच होगी। ठगों ने चेताया कि सहयोग न करने पर उनका बुढ़ापा जेल में बीतेगा।
डर और दबाव में आकर पीड़ित ने आरोपियों द्वारा दिए गए दो बैंक खातों में अपनी जमा पूंजी ट्रांसफर करनी शुरू कर दी। 10 नवंबर को 10 लाख और 11 नवंबर को 17 लाख रुपये उन्होंने आरटीजीएस से भेज दिए। कुल 27 लाख रुपये ठगों के हाथ लग गए।
जब ठगों की मांग लगातार बढ़ती गई और व्यवहार संदिग्ध लगने लगा, तब त्रिवेदी ने परिजनों को पूरा मामला बताया। इसके बाद परिवार की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई। लखनऊ साइबर पुलिस अब इस पूरे फर्जीवाड़े की जांच में जुटी है।