पुखरायां ट्रेन हादसा: 106 KM की रफ्तार, टूटी वेल्डिंग और 150 मौतों की दर्दनाक कहानी

पुखरायां ट्रेन हादसा: 106 KM की रफ्तार, टूटी वेल्डिंग और 150 मौतों की दर्दनाक कहानी
November 20, 2025 at 5:46 pm

20 नवंबर 2016 की ठंडी रात… इंदौर-पटना एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 19321) कानपुर देहात के पुखरायां स्टेशन के पास अचानक चीखते हुए पटरी से उतर गई। एक झटके में कोच हवा में उछले और देखते ही देखते करीब 150 से अधिक यात्रियों की मौत और सैकड़ों लोग घायल हो गए। भारत के सबसे दर्दनाक रेल हादसों में से एक इस घटना की वजह बाद में मैकेनिकल फेलियर पाई गई।

कैसे हुआ हादसा?

ट्रेन रात करीब 3 बजे झांसी–कानपुर रेलखंड पर 106 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही थी। नवंबर की ठंड और तेज हवा के बीच ज्यादातर यात्री गहरी नींद में थे। अचानक एक जोरदार झटका लगा — कई यात्री उछलकर छत से टकरा गए।

जांच में सामने आया कि एस-1 स्लीपर कोच की वेल्डिंग जंग लगने और पुरानी दरारों के कारण टूट गई। टूटा हिस्सा पटरी पर गिरा और जैसे ही ट्रेन उस पर चढ़ी, एस-1 और एस-2 कोच पटरी से उतर गए। पीछे के कोच फुटबॉल की तरह उछलकर एक-दूसरे पर चढ़ गए। कुल 14 कोच ट्रैक से उतर गए

लोको पायलट ने तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाए, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।

सबसे अधिक मौतें S-1 और S-2 कोच में

हादसे के बाद सबसे ज्यादा शव एस-1 और एस-2 स्लीपर कोच से निकाले गए। ज्यादातर यात्री त्योहार मनाकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से अपने काम पर लौट रहे थे।

स्थानीय ग्रामीणों ने सबसे पहले रेस्क्यू शुरू किया, लेकिन मलबा बहुत भारी था। बाद में NDRF, डॉक्टरों की टीम और रेलवे ने व्यापक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया।

जांच में क्या निकला?

रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CRS) की 2020 में जारी रिपोर्ट में साफ हुआ कि—

  • हादसा मैकेनिकल फेलियर के कारण हुआ
  • एस-1 कोच की वेल्डिंग जंग लगने से टूट गई
  • ट्रैक में कोई खराबी नहीं थी, क्योंकि उसी मार्ग से पहले चार ट्रेनें सुरक्षित गुजरी थीं

रेलवे ने कैसे सीखे सबक?

हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने दुर्घटनाएं रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए—

1. ‘कवचएंटीकोलिजन सिस्टम

  • ऑटोमैटिक ब्रेकिंग सिस्टम
  • ट्रेनों को टकराने से रोकता है
  • अभी तक 10,000+ किमी रूट पर लागू
  • लक्ष्य: 2025–30 तक पूरा नेटवर्क कवर

2. मानव त्रुटि कम करने के प्रयास

  • लोको पायलट केबिन में AC और बेहतर सीट
  • अनिवार्य रेस्ट रूम
  • ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन सिस्टम

3. हाईटेक ट्रैक मॉनिटरिंग

  • अल्ट्रासोनिक मशीनें
  • ड्रोन निगरानी
  • AI आधारित सिस्टम

4. सुरक्षित LHB कोचों की शुरुआत

पुराने ICF कोचों की जगह सुरक्षित LHB कोच लगाए जा रहे हैं, जो डिरेलमेंट में जान का खतरा कम करते हैं।