DM की पत्नी नहीं होंगी महिला समिति की अध्यक्ष! सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यूपी सरकार बदलेगी 165 साल पुराना कानून

DM की पत्नी नहीं होंगी महिला समिति की अध्यक्ष! सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद यूपी सरकार बदलेगी 165 साल पुराना कानून
November 26, 2025 at 2:28 pm

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी नाराजगी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार आखिरकार 165 साल पुराने औपनिवेशिक कानून में बदलाव करने जा रही है, जिसके तहत जिलाधिकारियों (DM) की पत्नियों को स्वतः जिला महिला समिति का अध्यक्ष बना दिया जाता था। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि नया बिल पूरी तरह तैयार है और जल्द ही विधानसभा में पेश होगा। नए प्रावधानों में अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से करने का प्रावधान शामिल किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश सूर्या कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि समय गया है कि डीएम को राजा समझने वाली ब्रिटिश काल की सोच को पूरी तरह खत्म किया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार को दो महीने के भीतर नया कानून पास कर अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह भी साफ किया कि किसी भी सोसाइटी में अफसरों के परिवारजनों को केवल रिश्ते या पद के आधार पर कोई स्वतः अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।

मामला कैसे शुरू हुआ?

यह याचिका बुलंदशहर जिला महिला समिति की तरफ से दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान समिति की तब की अध्यक्ष—जो DM की पत्नी थीं—ने इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उनके पति का तबादला हो गया।
इस पर कोर्ट ने कहा कि यह पूरी प्रणाली ही गैर-लोकतांत्रिक है और इसे तत्काल बदला जाना चाहिए।

नया कानून लागू होने तक क्या होगा?

जब तक नया कानून लागू नहीं होता, बुलंदशहर जिला महिला समिति का कामकाज पुरानी कमेटी ही संभालेगी।

शिक्षा विशेषज्ञों और महिला संगठनों ने किया स्वागत

उत्तर प्रदेश में करीब 75 जिला महिला समितियाँ हैं, जहां सालों से DM की पत्नी ही अध्यक्ष बनती रही हैं। नए सुधार के बाद इन सभी जिलों में अध्यक्ष और पदाधिकारियों का चयन चुनाव के माध्यम से होगा।

महिला अधिकार संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लैंगिक समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने वाला कदम बताया है।