2025 का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize 2025) चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में तीन वैज्ञानिकों — मैरी ई. ब्रंकॉ (Mary E. Brunkow), फ्रेड रैम्सडेल (Fred Ramsdell) और शिमोन सकागुची (Shimon Sakaguchi) — को प्रदान किया गया है।
इन वैज्ञानिकों को यह सम्मान T-सेल्स (Regulatory T-Cells) और इम्यून टॉलरेंस (Immune Tolerance) से जुड़ी खोजों के लिए दिया गया, जिसने यह समझने में क्रांतिकारी योगदान दिया कि मानव प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही शरीर पर हमला क्यों नहीं करती।
क्या है वैज्ञानिक खोज का महत्व?
मानव शरीर में इम्यून सिस्टम (Immune System) का काम बैक्टीरिया और वायरस जैसे हानिकारक तत्वों से रक्षा करना है।
लेकिन कभी-कभी यही प्रणाली गलती से शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को भी निशाना बना लेती है — जिससे ऑटोइम्यून बीमारियाँ (Autoimmune Diseases) होती हैं।
तीनों वैज्ञानिकों की खोज ने यह स्पष्ट किया कि शरीर में मौजूद एक विशेष प्रकार की कोशिका — Regulatory T-Cells (Tregs) — इस गलती को रोकती हैं। ये कोशिकाएं अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को नियंत्रित करती हैं ताकि वे शरीर की अपनी कोशिकाओं पर हमला न करें।
पुरस्कार विजेताओं का योगदान
शिमोन सकागुची (Shimon Sakaguchi):
उन्होंने 1990 के दशक में “Regulatory T-Cells” की भूमिका पर सबसे पहले प्रकाश डाला और दिखाया कि ये कोशिकाएं प्रतिरक्षा संतुलन बनाए रखती हैं।
मैरी ई. ब्रंकॉ और फ्रेड रैम्सडेल:
इन दोनों वैज्ञानिकों ने FOXP3 जीन की खोज की, जो T-Cells की कार्यक्षमता और विकास को नियंत्रित करता है।
यदि इस जीन में गड़बड़ी होती है, तो इंसान में IPEX सिंड्रोम जैसी गंभीर ऑटोइम्यून बीमारियाँ हो सकती हैं।
खोज से कैसे बदलेगा इलाज का भविष्य?
नोबेल कमेटी का बयान
स्वीडन की करोलिंस्का इंस्टीट्यूट ने कहा कि —
“इन वैज्ञानिकों की खोज ने प्रतिरक्षा विज्ञान को नई ऊंचाई दी है। इनके काम से हम समझ पाए हैं कि शरीर अपनी ही कोशिकाओं से खुद को कैसे सुरक्षित रखता है।”
नोबेल पुरस्कार समारोह कब होगा?
निष्कर्ष
2025 का नोबेल पुरस्कार (Medicine) विज्ञान जगत के लिए एक बड़ा कदम है।
इन खोजों ने न केवल ऑटोइम्यून बीमारियों की समझ को गहरा किया है, बल्कि भविष्य में कैंसर इम्यूनोथेरेपी और प्रतिरक्षा नियंत्रण उपचारों के लिए भी नई संभावनाएँ खोली हैं।