भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर्स डे (Engineer’s Day) बड़े ही सम्मान और गर्व के साथ मनाया जाता है। यह दिन देश के महानतम इंजीनियर और भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती पर उनके अद्भुत योगदान को याद करने के लिए समर्पित है।
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का योगदान
सर एम. विश्वेश्वरैया को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए “भारत का महान इंजीनियर” कहा जाता है। उन्होंने देश को आधुनिक बुनियादी ढांचे से सुसज्जित करने में अहम भूमिका निभाई।
जिस तरह भागीरथ गंगा को धरती पर लाए, कुछ उसी तरह विश्वेश्वरैया कर्नाटक की नदियों के पानी को विशेष सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से खेतों तक लाए। उनके खेतों को हरा भरा बनाने में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें कर्नाटक का भागीरथ कहा जाने लगा।
उनके काम और सोच ने यह साबित किया कि एक इंजीनियर सिर्फ तकनीकी विशेषज्ञ ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण का शिल्पकार भी होता है।
इंजीनियरों की आज की भूमिका
21वीं सदी के भारत में इंजीनियरों की भूमिका और भी व्यापक हो चुकी है। आज इंजीनियर न केवल सड़क, पुल और इमारतों का निर्माण कर रहे हैं, बल्कि:
जैसे क्षेत्रों में भी अहम योगदान दे रहे हैं।
समारोह और आयोजन
इंजीनियर्स डे के अवसर पर देशभर में कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और सरकारी संस्थानों में सेमिनार, वर्कशॉप, प्रतियोगिताएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। यह दिन युवा इंजीनियरों को नवाचार (Innovation) की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
क्यों है यह दिन खास?
इंजीनियर्स डे सिर्फ एक औपचारिक दिन नहीं है, बल्कि यह हमें यह याद दिलाता है कि तकनीक और विज्ञान का सही उपयोग ही समाज को प्रगति की ओर ले जा सकता है। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि भविष्य में हमें किन तकनीकी समाधानों की जरूरत होगी और हम कैसे अपने इंजीनियरों को उस दिशा में प्रोत्साहित कर सकते हैं।
इसलिए, इंजीनियर्स डे पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम तकनीक और नवाचार का उपयोग केवल आधुनिकता के लिए ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र निर्माण के लिए भी करेंगे।