भारत की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है। जहां भारत में करोड़ों लोग रोज़ाना UPI से लेनदेन करते हैं, वहीं अमेरिका और यूरोप अभी भी अपने पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम और महंगे शुल्क के कारण पीछे रह गए हैं।
UPI: भारत की डिजिटल सफलता की कहानी
भारत में नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा वर्ष 2016 में लॉन्च की गई UPI ने आज देश की आर्थिक व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया है।
2025 तक भारत में UPI लेनदेन की संख्या अरबों में पहुँच चुकी है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म बन गया है।
अमेरिका और यूरोप क्यों पीछे हैं?
अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग प्रणाली अभी भी पुरानी प्रक्रियाओं और महंगे शुल्कों पर आधारित है।
कई देशों में सरकारें और वित्तीय संस्थान अब भारत के मॉडल को समझने की कोशिश कर रही हैं ताकि वे भी ऐसा इकोसिस्टम बना सकें।
UPI बन रहा है ग्लोबल मॉडल
भारत का UPI अब ग्लोबल पेमेंट्स नेटवर्क बनने की ओर अग्रसर है।
निष्कर्ष
भारत का UPI अब सिर्फ एक पेमेंट सिस्टम नहीं, बल्कि एक डिजिटल क्रांति बन गया है।
जहां पश्चिमी देश अब भी अपनी जटिल बैंकिंग प्रणालियों से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं भारत ने दिखा दिया है कि तकनीक और नीति मिलकर कैसे एक आम नागरिक को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती हैं।