पिछले पांच वर्षों में लगभग 9 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने राज्यसभा में लिखित जवाब के दौरान दी। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि 2020 से 2024 के बीच कुल 8,96,843 भारतीयों ने भारतीय नागरिकता त्यागी, जबकि 2022 के बाद से नागरिकता छोड़ने के मामलों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सरकार के अनुसार, कई भारतीय फर्जी जॉब ऑफर्स के झांसे में विदेशी स्कैम सेंटरों में फंस जाते हैं। इन मामलों में सरकार ने अब तक 6,700 भारतीयों को बचाया, जिन्हें साइबर फ्रॉड और फर्जी गतिविधियों से जुड़े केंद्रों में जबरन काम कराया जा रहा था।
वर्षवारआंकड़े: किस साल कितने भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता
इनके अलावा 2011 से 2019 के बीच कुल 11,89,194 भारतीय अपनी नागरिकता छोड़ चुके हैं।
विदेशों से मिलीं16,127 शिकायतें
2024-25 के दौरान विदेशों में रहने वाले भारतीयों से मंत्रालय को कुल 16,127 शिकायतें प्राप्त हुईं। इनमें से:
सबसे अधिक संकट संबंधी मामले सऊदी अरब(3,049) से आए। इसके बाद यूएई, मलेशिया, अमेरिका, ओमान, कुवैत, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और कतर का स्थान रहा।
प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा के लिए सरकार की बहु-स्तरीय व्यवस्था
मंत्री ने बताया कि सरकार ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा और शिकायतों के समाधान के लिए एक मजबूत, बहु-स्तरीय तंत्र तैयार किया है, जिसमें शामिल हैं:
अधिकांश शिकायतें सीधे बातचीत, नियोक्ताओं से मध्यस्थता और विदेशी अधिकारियों के साथ समन्वय से हल की जाती हैं। कुछ मामलों में देरी का कारण अधूरी जानकारी, नियोक्ताओं का सहयोग न मिलना या न्यायिक प्रक्रिया बताया गया है।
भारतीय दूतावास जरूरतमंद प्रवासियों को कानूनी सहायता भी उपलब्ध कराते हैं, जिसका खर्च इंडियन कम्युनिटी वेलफेयर फंड से वहन किया जाता है।
सरकार ने कहा कि प्रवासी भारतीयों, खासकर कामगारों की सुरक्षा उसकी शीर्ष प्राथमिकता है, जिसके लिए प्रवासी सहायता केंद्र और कांसुलर कैंप लगातार मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करते हैं।