निठारी कांड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली पूरी तरह बरी, तुरंत रिहाई का आदेश

निठारी कांड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: सुरेंद्र कोली पूरी तरह बरी, तुरंत रिहाई का आदेश
November 11, 2025 at 2:54 pm

सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के बहुचर्चित निठारी सीरियल हत्याकांड मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को पूरी तरह बरी कर दिया है। अदालत ने उसकी दोषसिद्धि और सजा दोनों को रद्द कर दिया और कहा कि यदि वह किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है तो उसे तुरंत रिहा किया जाए

यह आदेश उस समय आया है जब कोली ने निठारी हत्याकांड के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि और मृत्युदंड के खिलाफ सुधारात्मक याचिका दायर की थी। पीठ में मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ शामिल थे, जिन्होंने उसकी याचिका स्वीकार करते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया।

क्या है निठारी कांड?

निठारी हत्याकांड तब सामने आया था जब 29 दिसंबर 2006 को नोएडा स्थित निठारी गांव में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से 8 बच्चों के कंकाल बरामद हुए थे। बाद में जांच में कई और शव मिले और मामला भारत के सबसे भयावह अपराधों में शामिल हो गया। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया था।

सुरेंद्र कोली की सजा और कानूनी यात्रा

  • कोली को 15 वर्षीय लड़की के बलात्कार और हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी।
  • फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा।
  • 2014 में पुनर्विचार याचिका खारिज हुई, लेकिन जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दया याचिका पर देरी का हवाला देते हुए मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया।

अक्टूबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को निठारी के कई मामलों में बरी कर दिया था। 12 मामलों में कोली और दो मामलों में पंढेर बरी हुए। हाईकोर्ट ने 2017 की निचली अदालत की मौत की सजा को पलट दिया था।

सीबीआई और पीड़ित परिवारों की अपीलें खारिज

सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने इन बरी किए गए फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 30 जुलाई 2024 को शीर्ष अदालत ने सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया।
इसके साथ निठारी केस के सभी लंबित मुकदमे समाप्त हो गए।

अब पूरी तरह बरी

आज के आदेश के साथ ही कोली पर बचे अंतिम कानूनी मामले का भी निपटारा हो गया, और सुप्रीम कोर्ट ने उसे पूरी तरह निर्दोष घोषित करते हुए रिहा करने का निर्देश दिया।