West Bengal News: SIR 2.0 से पहले ममता सरकार का ‘बड़ाखेल’? 24 घंटेमें 527 अफसरों का ताबड़तोड़ तबादला, सियासत गरमाई

West Bengal News: SIR 2.0 से पहले ममता सरकार का ‘बड़ाखेल’? 24 घंटेमें 527 अफसरों का ताबड़तोड़ तबादला, सियासत गरमाई
October 28, 2025 at 1:42 pm

West Bengal Bureaucratic Shuffle: पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग की SIR (Special Summary Revision) एक्सरसाइज शुरू होने से ठीक पहले ममता बनर्जी सरकार ने 527 अफसरों के तबादले कर राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस लिस्ट में 61 IAS और 460 से ज्यादा WBCS अफसर शामिल हैं। वहीं, बीजेपी ने इसे “फेक वोटर हटने का डर” बताते हुए चुनावी साजिश करार दिया है, जबकि TMC ने इसे “रूटीन प्रक्रिया” बताया है।

24 घंटे में 527 तबादले, अफसरों की नई लिस्ट से मचा हड़कंप

24 अक्टूबर की डेट वाली तबादला लिस्ट में कई जिलों के DM (District Magistrate) बदले गए हैं। नॉर्थ 24 परगना, मुर्शिदाबाद, बीरभूम, पुरुलिया, कूचबिहार, मालदा, दार्जिलिंग, हुगली समेत 14 जिलों में शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को हटा दिया गया है।


जानकारी के मुताबिक, ट्रांसफर लिस्ट दो फेज में वेबसाइट पर अपलोड हुई — पहला हिस्सा EC की प्रेस ब्रीफिंग से पहले और दूसरा उसके तुरंत बाद, जिससे सियासी बवाल मच गया।

SIR 2.0: क्यों अहम है यह तबादला

SIR यानी Special Summary Revision, चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट सुधार प्रक्रिया है।

  • 28 अक्टूबर से वोटर लिस्ट फ्रीज होगी।
  • 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक SIR चलेगी।
  • 9 दिसंबर को ड्राफ्ट रोल जारी होगा।
  • 7 फरवरी को फाइनल लिस्ट आएगी।

इस प्रक्रिया में जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारी अहम भूमिका निभाते हैं — ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर तबादले ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या सरकार “बैकडोर स्ट्रैटेजी” में लगी है?

BJP का आरोप: “फेक वोटर हटने से डर गई TMC”

BJP ने ममता सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा,

“TMC को डर है कि SIR पूरी हुई तो फर्जी वोटर हट जाएंगे और उनका वोट बैंक सिकुड़ जाएगा। इसी वजह से आखिरी मिनट में तबादलों की बाढ़ ला दी गई है।”

BJP नेताओं का आरोप है कि यह कदम SIR की प्रक्रिया में गड़बड़ी लाने के लिए उठाया गया है।

TMC का जवाब: “यह तो रूटीन ट्रांसफर है

TMC ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये तबादले “सालाना प्रक्रिया” के तहत किए गए हैं और विपक्ष इसे राजनीतिक रंग दे रहा है।

“हर साल ऐसे तबादले होते हैं। इसे SIR से जोड़ना महज सियासी नाटक है।”

हालांकि, सवाल यह उठता है कि जब चुनाव आयोग पहले ही चेतावनी दे चुका था कि SIR शेड्यूल तय होने के बाद किसी भी ट्रांसफर के लिए EC की मंजूरी जरूरी होगी, तो इतनी जल्दी में यह कदम क्यों उठाया गया?

चुनाव आयोग की नजर

बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने मंगलवार को सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई है, जिससे साफ है कि आयोग पूरे मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है।