October 15, 2025 at 1:51 pm
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में इस दिवाली ग्रीन क्रैकर्स (पर्यावरण अनुकूल पटाखे) को जलाने एवं बेचने की अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
इस निर्णय का लक्ष्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और त्योहार की खुशियों को सुरक्षित रूप से मनाना है।
ग्रीन क्रैकर्स क्या हैं?
- ग्रीन क्रैकर्स वे पटाखे हैं, जिनमें कम धुआँ, कम हानिकारक गैसें और कम कण उत्सर्जन होता है।
- इन पटाखों के निर्माण में ऐसे रसायन और तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो प्रदूषण और धुएँ को कम करते हैं।
- हालांकि, यह कहना ठीक नहीं होगा कि ये पूरी तरह 100% सुरक्षित हैं — लेकिन पारंपरिक पटाखों की तुलना में इनका प्रभाव स्पष्ट रूप से कम माना जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
- कोर्ट ने आदेश दिया है कि दिल्ली-एनसीआर में लिमिटेड समय में ही ग्रीन क्रैकर्स फोड़े जा सकते हैं।
- पटाखे फोड़ने की समय सीमा तय की गई है: सुबह 6 से 7 बजे और शाम 8 से 10 बजे के बीच।
- कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि ये पटाखे निर्धारित स्थानों पर ही फोड़े जाएँ।
- सिर्फ लाइसेंसी और प्रमाणित विक्रेताओं को ही ग्रीन क्रैकर्स बेचने की अनुमति होगी।
- पारंपरिक ध्वनि-पटाखों की बिक्री एवं उपयोग पर प्रतिबंध जारी रहेगा।
- यह निर्णय संविधान और पर्यावरण संरक्षण कानूनों के तहत लिया गया है, ताकि स्वास्थ्य और वायु गुणवत्ता की रक्षा हो सके।
सुरक्षा, विपक्ष और चुनौतियाँ
- विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रीन क्रैकर्स से धुएँ और हानिकारक गैसों की मात्रा कम होती है, लेकिन ये पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त नहीं होते।
- यदि अधिक मात्रा में या अनुचित तरीके से उपयोग किए जाएँ, तो ये भी स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
- प्रशासन और पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्देशों का सख्ती से पालन हो, साथ ही काले बाज़ार पर नियंत्रण रखा जाए।
- कुछ राज्यों में, दिल्ली-एनसीआर से जुड़े जिलों में पटाखों की निर्माण, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध पहले ही लगाया गया है।
- नागरिकों को सतर्क रहने और पहचान किए गए, प्रमाणित ग्रीन क्रैकर्स ही खरीदने-चलाने की सलाह दी गई है।
निष्कर्ष
इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने यह संतुलन साधने की कोशिश की है कि दिवाली की परंपरा जारी रहे, लेकिन प्रदूषण और स्वास्थ्य को भारी हानि न पहुँच जाए। ग्रीन क्रैकर्स इस दिशा में एक कदम हैं — अब यह समाज, प्रशासन और नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे इस अवसर का सही उपयोग करें, ताकि एक सुरक्षित और स्वच्छ दिवाली मनाई जा सके।